रांची (RANCHI): झरखंड के कोल्हान में नक्सलियों का आतंक कई दशक से जारी है. सुरक्षाबल और नक्सलियों की लड़ाई में आम ग्रामीण दहशत में है. ऐसे में अब नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों ने सेंदरा  की शुरुआत कर दी है. जिसमें नक्सलियों को घेर कर मौत के घाट उतारने की योजना है. ग्रामीण और नक्सलियों के बीच टकराव को देखते हुए पुलिस मुख्यालय अलर्ट हो गया है. साथ ही सेंदरा  से अब नक्सलियों में दहशत सा माहौल बन गया. ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए नक्सल ग्रस्त जिले के एसपी ग्रामीणों के बीच पहुँच कर सेंदरा  से बचने की हिदायत दे रहे है.      

कैसे हुई सेंदरा  की शुरुआत

दरअसल कोल्हान के जंगल में बड़े माओवादी छुप कर बैठे है. साथ ही पुलिस से बचने के लिए पूरे जंगल में बारूदी जाल बिछा दिया. जिससे कोई जंगल में आने की कोशिश करे तो वह नक्सलियों के जाल में फस जाए. इस बारूदी जाल में सुरक्षा बल के जवान को ज्यादा नुकसान नहीं होता लेकिन ग्रामीणों को इसका खामियाजा उठाना पड़ता है. बीते पाँच साल में कई निर्दोष की जान चली गई. जब जंगल में मवेशी चराने या फिर लकड़ी काटने जाते तो बारूदी बम की चपेट में आकार ज़िंदगी खत्म हो जाती थी.    

लाल आतंक को खत्म करने का संकल्प 

बस इसी से तंग आकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया. पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई में खुद कूद गए. इसके बाद नक्सलियों के खिलाफ सेंदरा  करने का संकल्प लिया.जहां भी नक्सलियों की सूचना मिलेगी एक साथ 8-10 गाँव के ग्रामीण एक साथ जुट कर उग्रवादियों को खत्म करने का संकल्प ले लिया.तीर धनुष और भाला गड़ासा से नक्सलियों पर वार करने की योजना ग्रामीण स्तर पर बनाई गई है. इसमें सभी ग्रामीण प्रधान और गाँव के मुखिया के बैठक के बाद निर्णय लिया है.

कोल्हान से सेंदरा  की शुरुआत

सेंदरा  की सुरुआत ग्रामीणों ने कोल्हान से कर दिया. जंगल से गाँव में पहुंचे अंजान को मौत के घाट उतार दिया. जिसके बाद पूरे जंगल में खबर आग की तरह फैली गई.  नक्सलियों में पहली बार डर देखने को मिला. अब तक नक्सलियों को गाँव के लोग संरक्षण देते थे ऐसा आरोप लगता रहा है. लेकिन अब कुछ और ही तस्वीर देखने को मिली है. सेंदरा  के जरिए ग्रामीण नक्सलियों के शिकार पर निकल पड़े है.

क्या है सेंदरा  और कैसे करते है वार

बता दे कि सेंदरा  ग्रामीण इलाकों में एक साथ मिल कर वार करने को कहते है. खास कर आदिवासी इलाकों में पारंपरिक हथियार से घेर कर मारने को सेंदरा  करना कहा जाता है. इसमें ग्राम प्रधान समेत अन्य बस एक आवाज देते है जिसके बाद कई गाँव के ग्रामीण शिकार पर निकल जाते है. सभी को टारगेट पहले से पता होता है. सूत्रों की माने तो नक्सलियों को अब ग्रामीणों ने टारगेट बनाया है. इस सूचना के बाद ही पुलिस मुख्यालय अलर्ट जारी कर इससे बचने की अपील कर रहा है.

पुलिस अलर्ट,सेंदरा  से बेकसूर का बहेगा खून 

पुलिस मुख्यालय के द्वारा अलर्ट जारी करने के बाद कोल्हान और इसके सीमावर्ती इलाकों में पुलिस ग्रामीणों के बीच पहुँच कर जागरूक कर रही है. ऐसे में पुलिस को डर है कि अगर ग्रामीण और नक्सली के बीच टकराव हुआ तो कई बेकसूर लोगों की जान चली जाएगी. एक तरफ नक्सली हाई टेक हथियार के साथ होंगे तो दूसरी तरफ ग्रामीण तीर धनुष के साथ. जिसे देख पुलिस जागरूक करने में लगी है.

 एसपी कर रहे जागरूक,कानून हाथ में ना ले                                

इसी कड़ी में पुलिस अधीक्षक  खूँटी के नेतृत्व में रानियाँ थाना अंतर्गत खटखुरा पंचयात के केनबांकी गाँव के साथ ताम्बा पंचायत (चाईबासा जिला के सीमावर्ती क्षेत्र) के ताम्बा गाँव में ऐसी वारदात से बचने की अपील की है.  खूंटी एसपी अमन कुमार ने सभी से अपील की है कि नक्सली अपराधी या कोई भी ऐसी गतिविधि की सूचना मिले तो नजदीकी थाना को सूचना दे खुद कानून हाथ में लेने से बचने की जरूरत है.

इन वजह से ग्रामीण हुए गोलबंद

इससे साफ है कि जब किसी को हर तरफ से दाम मिलता है तो वह खुद अपना रास्ता चुन कर निकल जाता है. कुछ ऐसी ही वजह सेंदरा  के शुरुआत की है.एक तरफ नक्सली पुलिस मुखबिर का आरोप लगा कर ग्रामीणों को मौत के घाट उतार रहे थे तो दूसरी तरफ कई बार निर्दोष शक के आधार पर सलाखों के पीछे पहुँच जा रहा था. लेकिन आखिर में अब ग्रामीणों ने उस जख्म को ही खत्म करने की सोच कर निकल पड़े है.