रांची (RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि तिरंगा जैसा हिन्दी का सम्मान होना चाहिए, ये हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है. ये बातें उन्होंने आज हिंदी दिवस पर हिंदी सेवियों के सम्मान सारोह में कहीं. आयोजन झारखंड मंत्रालय के सभागार में कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि  किसी भी व्यक्ति के लिए धन-दौलत से भी बड़ी उसकी भाषा है. हमारा देश बहुभाषी देश है परंतु एक देशवासी होने के नाते हम सभी लोगों को हिन्दी भाषा को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने, उसे जीवित रखने के संकल्प के साथ हिन्दी दिवस को मनाने की जरूरत है.  कहा कि देश और दुनिया में प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है. प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भाषाओं पर बहुत बड़ा आघात पहुंच रहा है.  लोग अपने आप को स्थापित करने के लिए भाषायी आघात को बर्दाश्त कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में हिन्दी भाषा में हो रहे अतिक्रमण को रोकना भी आवश्यक है. राज्य के मुखिया होने के नाते भरोसा दिलाते हैं कि हिन्दी भाषा पर अतिक्रमण नहीं होने देंगे. राज्य सरकार की पूरी व्यवस्था हिन्दी भाषा को अपनाते हुए कार्य करे. 

राज्य के कई क्षेत्रों में भाषा की जानकारी का फायदा उठाते हैं बिचौलिया

झारखंड में भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आज भी लोग हिन्दी भाषा नहीं समझ पाते हैं.  राज्य सरकार जब भी कोई कार्य योजना बनाती है तब मैं पदाधिकारियों से इस बात की चर्चा करता हूं कि जिन क्षेत्रों में लोग हिन्दी नहीं बोल-समझ पाते हैं वहां के लोगों को क्षेत्रीय भाषाओं में समझाकर योजनाओं को गति दी जा सकती है.  जिन क्षेत्रों में लोग हिन्दी भाषा को नहीं समझ पाते हैं वहां बिचौलिया सक्रिय हो जाते हैं.  परिणाम यह होता है कि सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत फायदा लाभुकों को नहीं मिल पाता है.  वहीं भाषा का फायदा उठाकर सरकार का एक बहुत बड़ा हिस्सा बिचौलिया मार लेते हैं.  हिन्दी दिवस का विषय बहुत बड़ा विषय है. हिन्दी  दिवस को भाषा को बढ़ाने का विषय, उसे अपनाने का विषय, भाषा को जीवित रखने के संकल्प दिवस के रूप में देखता हूं.  इस मंच पर अपने वक्तव्य में साहित्यकारों ने कहा है किअगर कोई भाषा खत्म होता है तो न सिर्फ भाषा बल्कि एक सभ्यता एक इतिहास की समाप्ति होती है.  असुर जनजाति इसका एक उदाहरण है.  जिसने दुनिया को लोहा बनाने का तकनीक दिया आज वो ही विलुप्त होने के कगार पर है. 

वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा की स्वीकार्यता बढ़ी है

इस अवसर पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा की स्वीकार्यता बढ़ी है. देश के वैसे नागरिक जो अन्य देशों में रह रहे हैं वे हमारी हिन्दी भाषा को बढ़ाने का काम कर रहे हैं.  किसी भी देश की भाषा ही उसकी संस्कृति एवं परंपराओं को एक धागे में पिरोने का काम करती है.   हिन्दी हमारे देश का ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे अधिक लोकप्रिय भाषाओं में से एक है.  मुख्य सचिव  ने कहा कि आजादी की लड़ाई के महानुभावों ने भी हिन्दी भाषा की वकालत की थी.  प्रशासनिक तथा न्यायालय से संबंधित कार्यों में भी हिन्दी भाषा का प्रयोग करना आवश्यक है. 

सम्मानित साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी और जसिंता केरकेट्टा ने क्या कहा

मौके पर मुख्यमंत्री एवं विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों से कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता के उत्कृष्ट प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया.  सम्मानित होने वाले प्रतिभागियों में पवन कुमार, सुमित नीरज, मधुप्रिया हेंब्रम उपस्थित थे .इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  राजीव अरुण एक्का, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल, मुख्यमंत्री के सचिव  विनय कुमार चौबे सहित कई गणमान्य साहित्यकार, लेखक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे. इनके अलावा कई हिंदी सेवी सम्मानित किये गए। इनमें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी और युवा कवयित्री जसिंता केरकेट्टा ने भी हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला.