धनबाद (DHANBAD): धनबाद की झरिया. धरती के नीचे धधकती आग, अब ऊपर भी दहकने लगी है, फिर भी लोग झरिया को छोड़ना नहीं चाहते. झरिया से उनका लगाव अभी भी बना हुआ है. कितनों की पुश्त दर पुश्त गुजर गई लेकिन उनका परिवार आज भी जहरीली गैस और धधकती आग के बीच जी रहा है. उन्हें भी डर है कि किसी भी दिन हादसा हो सकता है. जान जा सकती है लेकिन करें भी तो क्या करें, उनके सामने भी तो पहाड़ जैसी जिंदगी है. बाल बच्चे हैं, रोजी रोजगार की जरूरत है, झरिया पुनर्वास के तहत जिस बेलगडिया बस्ती में लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है, वहां लोग कतई जाना पसंद नहीं करते. कुछ लोग गए थे फिर तालाबंद करके फिर धधकती आग के बीच रहने को आ गए.
ऐतिहासिक शहर है धनबाद की झरिया
आपको बता दें कि झरिया शहर एक ऐसा शहर है, एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है कि जहां एक छोटी गुमटी बैठाने वाला भी अपने 5 परिवारों का पोषण कर सकता है. टोकरी में कोयला चुनकर भी लोग हजार 500 कमा सकते हैं. यह अलग बात है कि इस झरिया को किस्तों में मारा जा रहा है. कभी हाथ तोड़ा जा रहा है , तो कभी पैर काटे जा रहे है. बचा है तो अभी सिर्फ झरिया शहर का माथा. देखना है कि यह माथा भी कितने दिनों तक बचा रह पाता है. गरीबी और तंगी झेल रही साबो देवी कहती है कि 50 से भी अधिक सालों से उनका परिवार रह रहा है. बहुत तकलीफ में रहते हैं, तेल -साबुन नहीं मिलता है , सब्जी बेचकर ,कोयला चुनकर जीवन चलता है.
आग के बीच रहने की है मज़बूरी
फिर भी झरिया में रहना मजबूरी है, उन्हें भी अपनी जान का डर है, वह भी कहीं सुरक्षित रहना चाहती है लेकिन करें तो क्या करे. इसी प्रकार ब्यूटी देवी का कहना है कि दादा- दादी के समय से ही यहां रह रही है. धधकती आग ,जहरीली गैस से डर तो लगता है लेकिन क्या करें ,कहां जाए. वहीं ,पूर्व पार्षद अनूप साव का कहना है कि झरिया एक ऐतिहासिक शहर है, राजा के राजमहल यहां थे ,अब तो सिर्फ अवशेष ही बचे है , झरिया की एक विशेषता यह भी है कि देश के हर राज्यों से आकर लोग यहां रहते हैं और मेल मिलाप से रहते है. वह झरिया छोड़कर जाना नहीं चाहते. वह जिक्र करते हैं कि कुछ दिन पहले इंदिरा चौक के पास पिता -पुत्र गोफ में समा गए थे फिर भी लोग झरिया नहीं छोड़ना चाहते है. उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कोयले का खनन तो हुआ लेकिन बालू भराई में हुए घोटाले के कारण यह स्थिति पैदा हुई है. देखना दिलचस्प होगा कि झरिया के भाग्य में आखिर क्या लिखा है.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह के साथ प्रकाश महतो

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