रांची (RANCHI) : करीबन आधी रात तक की सघन पूछताछ के बाद आखिरकार ईडी की टीम ने ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार कर लिया. इसके साथ ही राज्य के नौकरशाहों और उसके राजनीतिक आकाओं में एक बेचैनी देखी जा रही है. माना जा रहा कि ईडी अब किसी भी वक्त उन नौकरशारों और राजनेताओं को अपना निशाना बना सकती है, जिनका इस करोड़ों की लूट में वीरेन्द्र राम के साथ साठगांठ था.
अब तक की पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे
सूत्रों का दावा है कि अब तक की पूछताछ में वीरेन्द्र राम ने कई बेहद चौंकाने वाले खुलासे किये हैं, जिसके बाद ईडी की टीम उसके 125 करोड़ का विशाल साम्राज को खड़ा करने में जिन-जिन अधिकारियों की मिलीभगत रही है, जिन-जिन राजनेताओं के द्वारा उसका राजनीतिक संरक्षण जाता रहा है उसकी सूची तैयार कर रही है, उनकी कुंडली खंगाली जा रही है.
अधिकारियों और राजनेताओं की काली कमाई को सफेद करने का आरोप
दावा है कि इन अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से वीरेन्द्र राम ना सिर्फ खुद काली कमायी करता था, बल्कि अधिकारियों और राजनेताओं के काले धन के निवेश का जिम्मा भी संभालता था. काले धन को सफेद करने की इस मुहिम में उसे उसका चार्टेड अकाउंटेड का साथ मिलता था. सूत्रों का दावा है कि ईडी किसी भी वक्त उसके चार्टेड अकाउंटेड को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है.
करीबन 125 करोड़ का निवेश और दर्जनों लग्जरी गाडियां
उसकी काली कमायी का अंदाज इससे लगाया जाता सकता है कि वह दिल्ली के छतरपुर इलाके में अपने पिता गंगा राम के नाम पर करीबन चार करोड़ की राशि से आलिशान बिल्डिंग का निर्माण करवा रहा था. जबकि उसके पिता एक सेवानिवृत शिक्षक है, इसके साथ ही दूसरे छह स्थानों पर आलिशान बिल्डिंगों की जानकारी हाथ लगी है. इस प्रकार देखा जाये तो उसने करीबन 125 करोड़ का विशाल साम्राज्य खड़ा किया है. साफ है कि इस साम्राज्य को खड़ा करने में उसे कई राजनेताओं और नौकरशाहों का सहयोग मिला होगा.
कांची नदी का पुल ध्वस्त होने पर जांच की जिम्मेवारी भी वीरेन्द्र राम पर सौंपी गयी
उसके राजनीतिक रसूख का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में जब बुंडू प्रखंड में कांची नदी के बुढाडीह-हाराडीह घाट पर 14 करोड़ की लागत से बना पुल एकबारगी धवस्त गया, तो उसके जांच का जिम्मा भी इसी वीरेन्द्र राम के जिम्मे मिला, लेकिन आज तक उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.माना जाता है कि उसने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर इस पूरे मामले को बंद कर दिया. इसके पहले ही इसी इलाके में एक पुल धवस्त हुआ था, लेकिन किसी भी मामले में कोई किसी को दोषी नहीं पाया गया. साफ है कि यह कारनामा बिना किसी उपरी संरक्षण के नहीं हो सकता. अब सवाल यह है कि क्या ईडी उन अधिकारियों और राजनीतिक आकाओं पर भी हाथ डालेगी, जिनकी ताकत के बल पर यह राज्य में लूट मचाता रहा.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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