गोड्डा (GODDA ) - झारखंड पुलिस आपकी सेवा में सदैव तत्पर,सेवा ही लक्ष्य है, जैसे कई टैग लाइन झारखंड पुलिस का है और इसमें पुलिस कुछ हद तक खरा भी उतरती है. जिसका एक ताजा उदाहरण धनबाद जिले में देखने को मिला, जहां बैंक लूट को अंजाम देने वाले अपराधियों में से एक को मार गिराया और दो को गिरफ्तार भी कर लिया,जिसके लिए धनबाद पुलिस बल बधाई के पात्र भी हैं. पर अगर यही घटना गोड्डा जिले में होती और घटना कर अपराधी भाग रहे होते, तो शायद पुलिस उनको पकड़ना तो दूर छू भी नही सकती थी.
भगवान भरोसे वाली वाहनों से होती है गश्ती
किसी भी जिले का नगर थाना सबसे महत्वपूर्ण जिला माना जाता है. जिले के आला अधिकारी से लेकर VIP मूवमेंट की सभी गतिविधियां इसी नगर थाना के भरोसे रहती है. मगर दुर्भाग्य देखिये इस थाने के सभी गश्ती वाहनों का हाल ऐसी हो गयी कि कबाड़ी वाले किसी भी वाहन का 20 से 25 हजार से अधिक दाम न दे और ऐसी वाहनों से सभी मौसमों में चाहे धूप हो,बरसात हो या सर्द मौसम में गश्ती होती है.
हॉर्न छोड़कर सभी पुर्जों से आती है आवाज
नगर थाना की तीन गश्ती वाहन अंग्रेज जमाने के हैं और हालात ऐसे कि वाहनों के हॉर्न तो नहीं बजते अलबत्ता सभी कलपुर्जों की आवाज जरूर निकलती रहती है. बरसात से बचने को पुलिस कर्मियों द्वारा चंदा कर उसपर पॉलिथीन लगवाया गया, ताकि बरसात का पानी नहीं टपके.
अक्सर हो जाती है ब्रेक डाउन
वाहनें इतनी जर्जर हो गयी हैं कि कब कहाँ ब्रेक डाउन हो जाय, कहा नहीं जा सकता. मंगलवार को भी 2 नम्बर गश्ती वाहन जब गश्ती के लिए निकली तो पथरा रोड में ब्रेक डाउन हो गयी. फिर फोन कर दूसरे वाहन से टोचन कर लाया गया. पदाधिकारी on ड्यूटी बिनोद कुमार कहते हैं कि इस वाहन से अपराधी पकड़े तो नहीं जा सकते बल्कि उन्हें डराया भर जा सकता है. अब सोचिए किसी अपराधी का पीछा करना हो तो कैसे संभव होगा?
CSR और DMFT फण्ड से क्यों नहीं होती आपूर्ति
जिले में दो बड़ी कंपनियां ECL और अडानी हैं, जिससे CSR के तहत बहुत सारे फायदे जिले के अधिकारियों को मिलता है, मगर जिनके जिम्मे सुरक्षा का जिम्मा जनता का होता उनके लिए कुछ नही होता . क्यों नहीं करोड़ों रुपये DMFT फण्ड से जो सालाना मिलते हैं, उसमें से पुलिस के हिस्से में भी कुछ हो जाता है . सवाल ये भी उठता है कि जब CSR फण्ड से आला अधिकारी लाभान्वित हो सकते हैं, तो इन सुरक्षा कर्मियों को क्यों नही? सवाल ये भी कि सरकार के स्तर से कुछ पहल इस विभाग के लिए क्यों नही होती,जबकि नेताओं और मंत्रियों के लिए करोड़ों के वाहन खरीदे जा सकते हैं?
रिपोर्ट - अजीत कुमार सिंह, गोड्डा.

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