रांची (RANCHI): झारखंड में इधर दो महीने से पल-पल सियासत करवट बदल रही है. जिस तरह राज्य में ईडी पैर पसार रही थी, और कहा जाने लगा था कि सारी कवायद केंद्र की ओर से सूबे के मुखिया को घेरना है. फिर ऑपेरशन लोटस की चर्चा रही, जिसकी लगभग पुष्टि कांग्रेस के तीन विधायकों की लाखों रुपये नक़द के साथ गिरफ्तारी ने भी की. अचानक गठबंधन सरकार के  विधायकों को सीएम आवास में हाजरी लगानी पड़ी, फिर सभी रायपुर शिफ्ट किये गए. इस दरम्यान ऑफिस ऑफ दी प्रॉफिट मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा हेमंत की विधायकी खत्म होने की अफवाह गर्म रही. इसमें राजभवन की ओर से अबतक कोई स्पष्टीकरण न देना भी सरकार के लिए संशय बनकर खड़ा रहा. एक सितंबर को यूपीए के विधायकों ने राज्यपाल से इस संबंध में तस्वीर साफ भी करने का आग्रह किया. लेकिन उधर की खामोशी रही.

इधर हेमंत ताबड़तोड़ जनहित में कई निर्णय लेते रहे और अंत में स्थानीयता के लिए बरसों से लंबित मांग 1932 खतियान को आधार मानते हुए मुहर लगा दी और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की भी घोषणा कर दी.
कल तक लग रहा था कि हेमंत सरकार अब गयी कि तब गयी, कहीं राज्य में राष्ट्रपति शासन न लग जाये, हेमंत संकट के बीच शक्तिशाली बनकर उभरे और विपक्ष भाजपा की सियासी हांडी चढ़ी कि चढ़ी रह गयी. 

अब समझिए उनके दिल्ली जाने के मायने

आज दोपहर जब हेमंत के राजभवन जाने की खबर आई तो सभी ने समझा कि स्थानीयता के मामले में बातचीत करने गए होंगे. लेकिन थोड़ी देर बाद सरकार की ओर से मीडिया में एक पत्र जारी किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री की ओर से राज्यपाल को ही दूसरे शब्दों में घेरने की शब्दावली थी. सवाल ही था कि हुज़ूर निर्वाचन आयोग के मन्तव्य पर अपनी राय दे ही दीजिये, क्यों विलम्ब कर रहे हैं, ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. वहीं भाजपा को भी निशाने पर ले लिया. पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के हवाले से कहा गया है कि खनन लीज लेना ऑफिस ऑफ दी प्रॉफिट के दायरे में नहीं आता. राजभवन के बाद हेमंत झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से मिले. मन्त्रणा की और शाम को दिल्ली के लिए उड़ गए.

क्या करेंगे दिल्ली में

हेमंत दिल्ली से सम्भवतः 17 सितंबर को लौटेंगे. इस बीच उनके राष्ट्रपति से मिलने की बात कही जा रही है. कहा जा रहा है कि 1932 के खतियान को लागू करने संबंधी विधेयक को झारखंड विधानसभा से पारित करने के बाद केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाएगी. और हेमंत इसी सिलसिले में राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. बता दें कि इनके बीच घरेलू संबंध भी है.

दूसरी ओर खबर ये भी है कि वे राजभवन से ऑफिस ऑफ दी प्रॉफिट मामले में किसी निर्णय में विलंब को लेकर कानूनविदों से राय लेंगे. साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर ये प्रचारित कराएंगे कि केंद्र उनकी सरकार को अस्थिर करने की कुत्सित कोशिश कर रही है. तीसरी वजह राजधानी दौरे की नीतीश फैक्टर भी है. हेमंत यूपीए के नेताओं से मिलेंगे. 2024 के आम चुनाव को लेकर भी उनके दौरे की अहमियत बताई जा रही है.