पलामू(PALAMU): कर्बला के मैदान में शाहिद हुए इमाम हुसैन व उनके परिजनों की याद में हुसैनाबाद के शिया समुदाय ने चहल्लुम मनाया. मौके पर समुदाय के लोगों ने जंजीर, ब्लेड व कमा से मातम कर खुद को लहू लुहान कर लिया.
मुख्य कार्यक्रम वक्फ वासला बेगम सदर इमामबारगाह में हुआ, तकरीर के बाद शहीदों का ताबूत, अलम, सिप्र, दुलदुल निकाला गया. जो मुख्य मार्गों से होते हुए गांधी चौक पहुंचा. गांधी चौक पर मौलाना सैय्यद तहजीबुल हसन रिज़वी ने बताया "शहीदों को श्रद्धांजली देने को हम सब यहां आए हैं. उनपर किए गए जुल्मों को याद कर ग़म मनाते हैं . यह ग़म दुनिया का सबसे बड़ा ग़म है. पैगम्बर मोहम्मद साहब (स.) के परिवार को एक दिन में शाहिद कर दिया गया. उनके शवों को जलती जमीन पर यूं ही छोड दिया गया. सन् साठ हिजरी में वर्तमान इराक के कर्बला नामी स्थान पर हजरत एमाम हुसैन (अ०स०) उनके सगे सम्बन्धि, दोस्तों को यजीदी हुकूमत के आदेश पर कत्ल कर उनकी औरतों बच्चों को कैदी बना लिया गया था.
उन पर यातनाओ का पहाड तूट पडा. हमारे समाज में किसी के परिवार में किसी एक की मौत हो जाए तो लोग दुखी परिवार को संतावना देते है. परंतु कर्बला में एैसे निर्दयी लोग मौजूद थे. जो दुखीयों को संतावना देने के बजाए उन्हें यातनाए देने में खुश होते थे.
तकरीर के बाद लोगों ने जंजीर, बलेड, कमा का मातम कर अपने शरीर से खून बहाया. सभी या अब्बास या हुसैन का नारा लगा रहे थे. इस खूनी मातम को देखने काफी संख्या में लोग मौजूद थे. मालूम हो कि हुसैनाबाद का चहलुम बहुत प्रसिद्ध है. जिस कारण काफी दूर दूर से लोग शामिल होने आते हैं. गांधी चौक के समीप तकरीर के बाद खूनी मातम को देखने बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. मातम करता हुआ जुलूस भट्ठी मोहल्ला, दाता नगर होते हुए हुसैनाबाद करबला पहुंचा. फातेहा के बाद कार्यक्रम संपन्न हुआ. पहलाम के बाद लोगों ने सामूहिक रूप से देश की तरक्की और शांति की दुआ मांगी.
कार्यक्रम मे मुख्य रूप से मुत्तवल्ली सैयद हसनैन जैदी, सैयद फिरोज़ हुसैन, सैयद तक़ी रिज़वी, मिर्जा नेहाल, सैयद प्यारे हुसैन, मिर्ज़ा अमिन, सैयद गजंफर हुसैन, डॉक्टर सैयद नादिर रिज़वी, सैयद विक्टर हुसैन, सैयद कामिल हुसैन आदि शांति व्यवस्था बनाने का काम किया.
रिपोर्ट: जफ़र हुसैन, पलामू

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