रांची(RANCHI): खनन लीज मामले में चुनाव आयोग ने अपना मन्तव्य राज्यपाल रमेश बैस को करीब 20 दिन पहले ही सौंप दिया है. बावजूद इसके राज्यपाल ने अपना फैसला अभी तक नहीं सुनाया है. इसे लेकर यूपीए का एक प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल से एक सितंबर को भी मिलने पहुंचा था. मगर, उन्हें भरोसा दिलाने के तुरंत बाद राज्यपाल दिल्ली चले गए थे. इसी बीच सियासी हलचल राज्य में लगातार रही है. मगर, जब इतने दिनों के बाद भी जब राज्यपाल ने अपना फैसला नहीं सुनाया तो आज यानी गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे. वहां उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र सौंपा और जल्द से जल्द फैसला सुनाने की मांग की.
मुख्यमंत्री को राज्यपाल से मिलने के लिए बाध्य होना पड़ा
मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को दिए गए पत्र में सीएम ने कहा कि पिछले तीन हफ्ते से जो राज्य में असामान्य अनापेक्षित और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां हुई हैं इसके कारण आज खुद राज्यपाल से मिलने के लिए उन्हें बाध्य होना पड़ा है. उन्होंने कहा कि फरवरी, 2022 से ही भारतीय जनता पार्टी द्वारा यह भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा पत्थर खनन पट्टा लिये जाने के आधार पर मुझे विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया जायेगा. इस संबंध में भाजपा द्वारा राज्यपाल के पास एक शिकायत भी दर्ज की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
इस पत्र में हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय Kartar Singh Bhadana versus Hari Singh Nalwa (2002) 4 SCC 661 और C.V. K. Rao versus Dantu Bhaskara Rao AIR 1965 5C 93 के दो आधिकारिक और बाध्यकारी न्याय निर्णय दिए गए हैं, जिसमें यह पूर्ण रूप से स्पष्ट बताया गया है कि खनन पट्टा लिये जाने से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9A के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती है और इस विषय मे मंतव्य गठन के लिए संविधान के अनुच्छेद 192 के अन्तर्गत राज्यपाल के रेफरेंश के अनुसरण में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई भी आयोजित की गई थी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हालांकि भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करना है और राज्यपाल द्वारा तत्पश्चात पक्ष को सुनवाई का अवसर प्रदान कर उसके अनुरूप कार्रवाई करनी है. लेकिन, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से यह प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना मंतव्य भारतीय जनता पार्टी को सौंप दिया गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते राज्यपाल से संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में आपकी भूमिका की अपेक्षा की जाती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध करायी जाये और जल्द से जल्द सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाये ताकि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण शीघ्र दूर हो सके.
राज्यपाल पर दबाव बनाने की कोशिश
मुख्यमंत्री के राज्यपाल से मिलने के बाद एक बार फिर सियासी हलचल तेज होने की उम्मीद है. मुख्यमंत्री का खुद राज्यपाल से मिलने पहुंचना एक तरह से राज्यपाल पर दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है, ताकी वो जल्द से जल्द फैसला सुनाए. क्योंकि यूपीए को डर है कि जितना राज्यपाल इस मामले में फैसला सुनाने में देरी कर रहे हैं, उतना समय बीजेपी को सरकार के खिलाफ राजनीतिक जोड़ तोड़ के लिए मिल रहा है. अब देखना होगा कि राज्यपाल मुख्यमंत्री के अनुरोध पर कितनी जल्द फैसला सुनाते हैं.

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