सिमडेगा(SIMDEGA): भारतीय संस्कृति अपने पर्व त्यौहारों की वजह से ही इतनी फली-फूली लगती है. यहां हर पर्व और त्यौहार का कोई ना कोई महत्व होता ही है. कई ऐसे भी पर्व हैं जो हमारी सामाजिक और पारिवारिक संरचना को मजबूती प्रदान करते हैं इनमें से ही एक है जीवित्पुत्रिका व्रत. 

महिलाएं क्यों रखती है व्रत

ग्रामीण इलाकों में “जीउतिया” के नाम से जाना जाता है. जीवित्पुत्रिका यानी जीवित पुत्र के लिए रखा जाने वाला व्रत. यह व्रत वह सभी सौभाग्यवती स्त्रियां रखती है, जिनको पुत्र/पुत्री होते हैं और साथ ही जिनके पुत्र नहीं होते वह भी पुत्र कामना और बेटी की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं.

निर्जला व्रत रहकर अपने पुत्रों की दीर्घायु होने की करती है कामना

वहीं, पुत्र की दीर्घायु की कामना को लेकर रखे जाने वाले जीवित्पुत्रिका व्रत सिमडेगा जिले के विभिन्न प्रखंड में बुधवार को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. पूरे जिले की माताओं नेजीवित्पुत्रिका व्रत के लिए निर्जला व्रत रहकर अपने पुत्रों की दीर्घायु होने की कामना की. आज दोपहर से ही जिले की व्रती महिलाएं अपने परिवार और पुत्रों के साथ जिस घर में पहान पुजार द्वारा जितिया पेड़ की डाली स्थापित किया गया, उस घर में व्रती माताएं गई.

रेशम की माला को अपने बच्चों को पहनाया

वहीं, पुरोहितों के द्वारा सभी व्रतियों को विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चना कराया गया. समूह में सभी व्रतियों और श्रद्धालुओं को पंडित पुरोहित के द्वारा जीमूतवाहन की कथा का श्रवण कराया गया. पर्व को लेकर महिलाओं में गजब का उत्साह रहा. इस दौरान युवा से लेकर वृद्ध महिलाओं ने अपने बच्चों की कुशलता के लिए निर्जला व्रत रखा. वहीं,  व्रती माताओं द्वारा बृहस्पतिवार को सूर्योदय के बाद अपने बच्चों को जितिया की डाली में चढ़ाए गए रेशम की माला को अपने बच्चों को पहना कर वे उपवास तोडेंगी साथ ही पुत्र-पुत्री-पौत्र आदि की लंबी उम्र के लिए मंगलकामना करेगी.

रिपोर्ट: अमित रंजन, सिमडेगा