रांची(RANCHI):  झारखंड और उसकी परीक्षा प्रणाली, आप एक पल के लिए सोच सकते हैं कि झारखंड ट्रैफिक मुक्त हो जाएगा लेकिन अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि झारखंड में प्रतियोगी परीक्षा देकर आप सरकारी नौकरी पा सकते हैं तो शायद आपका सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा.

पहले तो झारखंड में जेपीएससी और जेएसएससी सीजीएल परीक्षा का मामला सुलझा नहीं कि एक और परीक्षा आफत बनती जा रही है. विवाद झारखंड पुलिस सब इंस्पेक्टर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर है. दरअसल जेएसएससी कैलेंडर के मुताबिक झारखंड दरोगा के लिए नोटिफिकेशन मई में आना था, लेकिन मई महीना खत्म हो गया पर अबतक नोटिफिकेशन नहीं आया है.

इस साल अप्रैल महीने में जेएसएससी कैलेंडर जारी किया गया था जिसमें प्रकाशित किया गया था कि इस साल यानी 2025 के मई महीने में झारखंड पुलिस सब इंस्पेक्टर या दरोगा परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा, लेकिन अब मई महीना बीत चुका है और जून शुरू हो गया है ऐसे में अभी तक इस नोटिफिकेशन का कोई अता-पता नहीं है. सोचने वाली बात यह है कि जब सरकार कैलेंडर के मुताबिक नोटिफिकेशन जारी नहीं कर पा रही है तो परीक्षाओं की क्या स्थिति होगी. वहीं इन दिनों राज्य में जेपीएससी विवाद भी सुलझ नहीं पाया है.

दरअसल ग्यारहवीं से तेरहवीं तक के जेपीएससी रिजल्ट के प्रकाशन के लिए छात्रों को लंबा इंतजार करना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने कई विरोध प्रदर्शन भी किए थे, जिसमें छात्रों को मजबूरन भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था. आपको बता दें कि पिछले साल जेपीएससी प्रीलिम्स और जेपीएससी मेन्स परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसके बाद प्रीलिम्स के रिजल्ट प्रकाशित कर दिए गए थे लेकिन जेपीएससी मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के प्रकाशन में देरी हो रही थी. ऐसे में करीब 11 महीने बीत चुके थे और रिजल्ट के इंतजार में छात्रों की आंखें थक चुकी थीं.

उस वक्त छात्रों ने जेपीएससी दफ्तर के बाहर धरना दिया था, साथ ही राज्यपाल का दरवाजा भी खटखटाया था. राज्यपाल से मुलाकात के बाद छात्रों को आश्वासन मिला था कि वह जल्द से जल्द जेपीएससी रिजल्ट प्रकाशित करने का निर्देश आयोग को देंगे. और हुआ भी ऐसा ही उन्होंने आयोग को रिजल्ट प्रकाशित करने का निर्देश दिया और तीन से चार दिनों के अंदर रिजल्ट प्रकाशित कर दिया गया. करीब 850 छात्र परीक्षा में सफल हुए. अब कटऑफ को लेकर बवाल मचा हुआ है. ऐसे में यहां बड़ा सवाल यह है कि बिना कट ऑफ मार्क्स के रिजल्ट कैसे प्रकाशित किया जा सकता है? साथ ही आरक्षण कोटे के अंक भी सामने नहीं आए हैं, जिससे छात्रों के मन में अभी भी यह सवाल है कि क्या वे वाकई सफल हुए हैं या नहीं.

अगर झारखंड पुलिस सब इंस्पेक्टर संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा की बात करें तो एक बार फिर छात्रों के मन में सवाल उठने लगे हैं. सोचने वाली बात यह भी है कि आखिर कब तक झारखंड के युवा इस उम्मीद में अपना घर-बार छोड़कर दिन-रात मेहनत करते रहेंगे कि कभी झारखंड में परीक्षाएं होंगी और कभी उन छात्रों को सरकारी नौकरी मिलेगी, जिससे वे अपना और अपने परिवार का उज्ज्वल भविष्य दे सकेंगे.