रांची(RANCHI): राजधानी रांची की ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में पिछले कई दिनों से सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगो के साथ तंबू गाड़ कर धरने पर बैठे हुए हैं. वहीं 10 दिन के बाद राष्ट्रीय त्योहार स्वतंत्रता दिवस है. इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोरहाबादी मैदान में झंडोत्तोलन कर राज्य की जनता को कई सौगात देंगे. जिसे देखते हुए अब तक स्वतंत्रता दिवस की तैयारी राजधानी रांची में शुरु हो जानी थी, लेकिन अभीतक मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मियो का डेरा लगा हैं. वहीं अगर इस वर्ष की बात करें तो विधानसभा चुनाव का डंका राज्य में बज चुका है. यह स्वतंत्रता दिवस मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. दूसरी तरफ सहायक पुलिसकर्मी भी डटकर सामना करने को तैयार है. साफ तौर पर उनका कहना है कि जब तक हमें लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता यहां से हम हटने वाले नहीं हैं. सभी के साथ यहीं पर मिलकर झंडोत्तोलन करेंगे.
अब नही चलेगा आश्वासन का खेल
पिछले 2 जुलाई से सहायक पुलिसकर्मी वर्दी ए इंसाफ 3 के आंदोलन तौर पर मोरहाबादी मैदान में तंबू गाड़कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. वहीं इनके ओर से बीते दिन मुख्यमंत्री आवास घेराव किया गया था जहां इन पर प्रशासन ने लाठी चार्ज की थी. लेकिन फिर भी अपनी साहस के दम पर सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में ही बैठे रह गए. इन सब के बाद सर्किट हाउस में मंत्री और विधायकों के साथ उनकी बैठक हुई, उस बीच सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया, लेकिन सहायक पुलिसकर्मी संतुष्ट नहीं हुए और अब कैबिनेट में अपनी मांगों को पारित करने की मांग कर रहे हैं.
जब मांग पूरी होगी तब जगह की जाएगी खाली
सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि राष्ट्रीय त्यौहार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम सभी मिलजुल कर मुख्यमंत्री के साथ झंडा फहराएंगे. यह त्योहार हम सभी के लिए है. लेकिन रही बात हमें यहां से हटाने की तो हम यहां से हटने वाले नहीं है. अगर सरकार को यहां से हटाना है तो उन्हें सबसे पहले हमारी मांग पूरी करनी होगी, उसके बाद ही यहां से सहायक पुलिसकर्मी हटेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से केवल झूठा आश्वासन ही मिला है, इस बार सरकार हमें लिखित आश्वासन दें. उन्होंने कहा कि हर बार सरकार की हमने बात मानी है, इस बार सरकार को हमारी बात सुननी होगी. तभी यहां से हम हटने वाले है, यह लड़ाई अब आर पार की हैं.
2021 में हुआ था पहला आंदोलन
दरअसल जब रघुवर सरकार में इनकी बहाली की गई थी, तब उस दौरान आश्वासन दिया गया था कि 3 वर्ष के बाद आप लोगों की वेतन बढ़ा दिया जाएगा और जिला पुलिस में समायोजन किया जाएगा. लेकिन हेमंत सोरेन के सरकार आने के बाद इनकी ओर से 2021 में पहला आंदोलन किया गया. वहीं सरकार से सहायक पुलिसकर्मियोंकी लड़ाई सात सालों से चलती आ रही है. लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान सरकार की ओर से निकलकर सामने नहीं आया है.
नक्सल बनने पर मजबूर कर रही सरकार
2017 में रघुवर की सरकार ने इन सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली हुई थी उनकी बहाली नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को खत्म करने के लिए की गई थी और इन्हें वेतन 10 हजार रुपयें दी जा रही थी. लेकिन 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनी. जिसके बाद रघुवर सरकार की काल में किए वादें धरे के धरे रह गए. वहीं सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि बहाली हुए 7 साल हो गई. इस बीच हमारी शादी और बच्चे भी हो गए. लेकिन इस वेतन में कैसे घर चलाया जा सकता है. इसका हिसाब अगर सरकार आकर देती है. तो उसी के आधार पर घर के खर्चे चलाए जाएंगे.
सहायक पुलिसकर्मियों की मांग
वेतन में विधि
सेवा स्थायीकरण
झारखंड पुलिस में समायोजन
सहायक पुलिसकर्मियों को सरकार दे आरक्षण
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