रांची(RANCHI): टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत के बाद गाड़ी की पीछे सीट पर भी बैठे लोगों को बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन इससे सीधे तौर गाड़ी में बैठे लोगों को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि आम तौर पर अगर आपके पास महिंद्रा की स्कॉर्पियो है, तो इस गाड़ी में भारत सरकार के नियम के अनुशार उस गाड़ी में सात लोगों को बैठने की अनुमति है.

लेकिन इस गाड़ी में भी सीट बेल्ट सिर्फ चार है. दो आगे की सीट पर और दो बीच की सीट पर.अगर गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होती है तो आगे सीट पर बैठे दो लोग और बीच में बैठे दो व्यक्ति तो बच जाएंगे. लेकिन बीच में बैठा तीसरा आदमी और पीछे बैठे दो लोग की जान कैसे बचेगी. वहीं बात करें गाड़ी की तो अधिकतर पुराने वाहन में एयर बैग भी नहीं है, अगर किसी में है भी तो सिर्फ आगे की सीट में. ऐसे में सरकार का यह निर्णय जल्द बाजी में लिया गया लगता है.     

अगर दो लोगों की भी जान जाती है, तो इसका जिम्मेवार कौन होगा. क्या सिर्फ दो लोगों की जान की रक्षा करनी ही सरकार की जिम्मेवारी है. परिवहन मंत्री की ओर से यह जानकारी सभी परिवहन पदाधिकारियों को दी गई है कि 15 सितंबर से पीछे सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों पर एक हजार जुर्माना लगेगा. लेकिन यह जुर्माना सिर्फ सरकार की तिजोरी भरने के लिए सही रहेगा. इससे जनता का कोई लेना देना नहीं है. सिर्फ आम लोगों के जेब पर और बोझ बढ़ जाएगा.

अगर बात करें झारखंड और बिहार के लोगों की तो यहां के लोग इतने धनी नहीं हैं कि सिर्फ एक गाड़ी में चार लोग सवारी करें. आम तौर पर सात सीट के अलावा दो लोग एक्स्ट्रा बैठ कर् सफर में निकलते हैं. छोटी कार alto  या फिर breeza गाड़ी में भी बीच सीट पर झारखंड और बिहार में लोग सीट से एक व्यक्ति अधिक बैठते है. ऐसे में यह निर्णय झारखंड बिहार में सफल नहीं हो पाएगा.

अगर बात करें पुलिस की तो इस निर्णय के बाद उनके चेहरे जरूर खिले हुए दिख रहे हैं. क्योंकि अधिकतर लोग पीछे सीट पर बेल्ट का उपयोग नहीं करते है. ऐसे में सरकार की कमाई जरूर बढ़ जाएगी. और हर दिन कहीं ना कही से पुलिस के साथ नोक झोंक की भी खबर सामने आएगी. पुलिस सरकार के नियमों का हवाला देगी लेकिन आखिर स्कॉर्पियो में बैठे लोग एक्स्ट्रा बेल्ट कहां से लाएंगे. क्योंकि आम तौर पर एसयुभी में चार बेल्ट ही होते है. तो जाहीर है की यह फैसला जल्द बाजी में लिया हुआ साफ दिख रहा है.