टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राजधानी रांची का फ्लाईओवर ट्रैफिक व्यवस्था का एक ऐसी नींव है जिसको लाइफ लाइन कहना गलत नहीं है,लेकिन इसी फ्लाईओवर को लेकर अब इतना बड़ा विवाद खड़ा हो गया है कि अब इसके अस्तित्व पर ही सवाल उठ रहे है.इस फ्लाईओवर के शुरू होने से राजधानी रांची के लोगों को ट्रैफिक जाम से काफी हद तक राहत मिलेगी, क्योंकि इसको सीरम टोली, कांटा टोली फ्लाईओवर से कनेक्ट किया जा रहा है, जिसके बाद राची रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, नेपाल हाउस आने-जाने वाले लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात मिल जायेगी.
आदिवासी समाज के लोग विरोध कर रहे है
आपको बतायें कि इस फ्लाईओवर को लेकर आदिवासी समाज के लोग विरोध कर रहे है जिसको लेकर विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब झारखंड की राजनीति भी गरमा चुकी है आदिवासी लोगों का कहना है कि सरना स्थल के सामने से फ्लाईओवर के रैप को हटा दिया जाए, जिसको लेकर पहली बार 22 मार्च को रांची बंद बुलाया गया था, जहां हजारों की संख्या में समर्थक जुटे थे.वहीं लोगों की मांग को देखते हुए सरहुल के दिन रैप को हटाना पड़ा था.वहीं सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ आदिवासी लोगों में आक्रोश देखा गया.
ये है आंदोलन की वजह
दअरसल आदिवासी संगठनों का कहना है कि फ्लाईओवर का रैप केंद्र सरना स्थल के गेट के सामने है.इसके बनने से गेट के सामने बहुत कम जगह बची है.जिससे सरना स्थल की खूबसूरती खराब हो रही है.इन लोगों का कहना है कि सरहुल के दिन भारी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं लेकिन रैप की वजह से सरहुल के दिन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
खूब हो रही है राजनीति
वहीं सरकार की दलील है कि फ्लाईओवर की रैप से सरना स्थल की ख़ूबसूरती के साथ-साथ सरहुल यात्रा पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि रैप बनने के बाद भी केंद्र सरला स्थल की चौड़ाई और लम्बाई 17 से 18 फीट तक है जहां से सरहुल के दिन शोभा यात्रा आगमन में बाधा नहीं होगी, यहां इतनी जगह है कि बड़ी-बड़ी गाड़िया जैसे ट्रक हाईया आदि आसानी से पार हो सकता है,लेकिन इसके बावज़ूद आदिवासी लोग मानने को तैयार नहीं है.जिसकी वजह से विवाद गहराता जा रहा है, और राजनीति भी तेज है.
आंदोलन का नेतृत्व पूर्व मंत्री गीता श्री उराव कर रही हैं
आपको बताएं कि आदिवासी के धार्मिक स्थल की सुरक्षा की मांग की आड़ में इस आंदोलन को बड़ा रूप देने की कोशिश की जा रही है. कुछ लोग आदिवासियों की आड़ में अपनी राजनीति रोटी सेंक रहे है. दरअसल आंदोलन का नेतृत्व पूर्व मंत्री गीता श्री उराव कर रही हैं उनका सीएम से मतभेद जगजाहिर है.बीजेपी गीता श्री उराव का सराहा लेकर आंदोलन के जरीये आदिवासियों के समर्थन को दुबारा से अपने पाले में लेना चाहती है,
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