रांची(RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी को लेकर जो माहौल राज्य में बना उसके बाद से एक अजीब सी खामोशी यहां आ गई है. सत्ता पक्ष यानी यूपीए के लोगों ने राजभवन से इस पूरे मामले पर स्थिति स्पष्ट करने को की मांग की, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. सामान्य रूप से अगर कोई गलत जानकारी सार्वजनिक होती है तो उस संस्थान से इस संबंध में स्पष्टीकरण आ जाता है. पिछले दिनों जेपीएससी में चेयरमैन नियुक्ति मामले पर राजभवन में स्पष्ट तौर पर एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव राजभवन को नहीं भेजा है जिसमें जेपीएससी के चेयरमैन की नियुक्ति की अनुशंसा हो. सत्ता पक्ष के लोगों का कहना है कि राजभवन को इस पर स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि भारत निर्वाचन आयोग ने क्या कुछ उनके पास भेजा है या नहीं भेजा है.
राज्यपाल राज्य की विधि व्यवस्था से बिल्कुल नाराज
इधर सत्ता पक्ष के लोगों को यह चिंता जताई जा रही है कि राजनीतिक कोलाहल के बाद अचानक कहीं कोई बड़ा फैसला ना आ जाए. कई विधायक तो इस आशंका में जी रहे हैं कि संभव है झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने के बाद राष्ट्रपति शासन ना लगा दिया जाए. इधर दुमका की अंकिता सिंह की मौत ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. राज्यपाल इस मामले में बहुत सख्त दिख रहे. राजभवन से जारी विज्ञप्ति में साफ तौर पर दिख रहा है कि राज्यपाल राज्य की विधि व्यवस्था से बिल्कुल नाराज हैं. इधर सत्तापक्ष के विधायकों ने भी राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था लेकिन राज्यपाल ने समय मुकर्रर नहीं किया है. ऐसे में लगता है कि वर्तमान खामोशी किसी तूफान का संकेत दे रही है. राजनीतिक समझदार अपने स्तर से इस तरह का विश्लेषण कर रहे हैं.

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