रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में हेमंत सोरेन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया. और सदन में विश्वासमत हासिल भी किया. मगर, बड़ा सवाल ये उठता है कि अचानक से एक दिन का सत्र बुलाने से राज्य की जनता को क्या फायदा हुआ. जब कैबिनेट में सदन के इस विशेष सत्र बुलाने की बात कही गई थी. तो सरकार की ओर से बताया गया था कि इस सत्र में सुखाड़ पर चर्चा होगी. मगर, सदन में ना सुखाड़ पर चर्चा हुई और ना ही कोई जनहित के मुद्दे उठाए गए. हां मगर, सरकार ने अपनी ताकत जरूर दिखाई. जब इस बारे में विधायक सरयू राय से पूछा गया कि क्या हेमंत सरकार के इस विश्वास प्रस्ताव से हेमंत सरकार या राज्य की जनता को कोई फायदा हुआ. तो सरयू राय का साफ कहना था कि इस तरह सत्र बुलाकर सरकार ने सरकारी कोष का दुरुपयोग ही किया है. सरयू राय ने कहा कि इस विश्वास प्रस्ताव से हेमंत सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ. बल्कि एक दिन के सत्र बुलाने में राज्य के लाखों रुपए की बर्बादी हुई है.

“अपने ही विधायकों का विश्वास टेस्ट करने के लिए लाया गया विश्वास प्रस्ताव”

इस विश्वास मत के बारे में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो से बात की गई. सुदेश महतो का कहना था कि जब विपक्ष ने ऐसी कोई मांग ही नहीं की या राज्यपाल ने कोई निर्देश ही नहीं दिया तो विश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत क्यों पड़ी. वे अपनों का विश्वास टेस्ट कर रहे हैं. सुदेश महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने ही विधायकों का विश्वास टेस्ट करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाए हैं.

विपक्ष को छोड़िए खुद झामुमो के विधायक ही ये कह रहे हैं कि इस विश्वास प्रस्ताव की कोई जरूरत नहीं थी. झामुमो से बोरियों विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि इस विश्वास प्रस्ताव की कोई जरूरत नहीं थी. वहीं वे यूपीए विधायकों के साथ ना आकर खुद की गाड़ी में विधानसभा पहुंचे थे. जबकि सभी यूपीए विधायक दो बसों में सवार होकर विधानसभा पहुंचे थे. इस सवाल पर लोबिन हेंब्रम ने कहा कि उनके पास अपनी गाड़ी है, वो क्यों बस से आयें.

विपक्ष पर जमकर बरसे सीएम हेमंत सोरेन

इस विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी वो रूप देखने को मिला, जो पहले कभी नहीं देखने को मिला था. मुख्यमंत्री सदन में विपक्ष पर जमकर बरसे और साथ ही साथ मीडिया और राज्यपाल की कार्यशैली पर भी उन्होंने सवाल उठाया. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष बस सरकार को गिराने में लगा हुआ है. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि मीडिया भी लगातार सरकार को बदनाम करने में लगा है. उन्होंने अपने इस भाषण के दौरान राज्यपाल पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. सीएम ने कहा कि जब यूपीए का प्रतिनिधि मण्डल उनसे मिलने पहुंचा तो उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग का मन्तव्य उन्हें प्राप्त हो चुका है. मगर, उसके कुछ देर बाद ही राज्यपाल पिछले दरवाजे से दिल्ली चले गए.      

सरकार के इस विश्वास प्रस्ताव से राज्य की जनता को तो कोई फायदा नहीं पहुंचा है. मगर, राज्य सरकार ने अपनी ताकत जरूर दिखाई है. अब फिर से सबकी निगाहें राज्यपाल के उस फैसले पर होगी जो चुनाव आयोग के मन्तव्य मिलने के बाद राज्यपाल सुनाने वाले हैं.