चाईबासा(CHAIBASA): गुवा सेल खदान में एमडीओ के विरुद्ध झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा के नेतृत्व में संयुक्त यूनियनों ने विशाल विरोध प्रदर्शन कर सेल प्रबंधन को मांग पत्र सौंपा. इस विरोध प्रदर्शन को लेकर सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा व संयुक्त यूनियनों ने गुवा सेल के फुटबॉल मैदान में एक बैठक कर एमडीओ के विरुद्ध विभिन्न नारे लगाते हुए रैली निकाली.
यह रैली गोवा सेल के फुटबॉल मैदान से होते हुए कच्ची धौड़ा, विवेक नगर, रेलवे मार्केट, रामनगर तथा गुवा बाजार होते हुए रामनगर में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया. अपने संबोधन में मधु कोड़ा ने कहा कि सेल प्रबंधन गुवा सेल खदान को एमडीओ का नाम देकर एक निजी कंपनी ठेकेदार को देना चाह रही है. परंतु यहां के सभी संयुक्त यूनियन, सेलकर्मी तथा सारंडा के आसपास गांव के ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध करती है. गुवा सेल खदान में निजीकरण कभी भी नहीं होने दिया जाएगा. चाहे इसके लिए क्यों ना हमें आंदोलन करना पड़े या सेल का चक्का जाम करना पड़े. सेल में निजीकरण होने से सेल में होने वाली बहाली पूरी तरह से बंद हो जाएगी. यहां के स्थानीय को रोजगार नहीं मिलेगा. और सेल प्रबंधन द्वारा ऐसा करने का हम विरोध करते हैं और किसी भी हालत में एमडीओ को गुवा नहीं आने दी जाएगी.
सेल प्रबंधन एमडीओ के नाम पर यहां के लोगों को लॉलीपॉप पकड़ा रही है
सांसद गीता कोड़ा ने लोगों को संबोधित कर कहा कि सेल प्रबंधन एमडीओ के नाम पर यहां के लोगों को लॉलीपॉप पकड़ा दे रही है. यहां के लोग एमडीओ के बारे में कुछ जानते भी नहीं है. एमडीओ क्या है. इसका मतलब होता है माइनिंग डेवेलपर्स ऑपरेशन. परंतु यहां के मजदूर गुवा सेल खदान में 2 मिलियन से बढ़ाकर 4.2 मिलियन तक कर दिया है. मजदूरों में अभी भी ताकत है कि इसे 10 मिलियन टन तक कर सकता है. जब मजदूरों में इतनी क्षमता है तो बाहर से बुलाकर प्राइवेट को देने की क्या जरूरत. अगर सेल प्रबंधन एमडीओ को वापस नहीं लेती है तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे. जनसभा को संबोधित करने के बाद विशाल जुलूस पैदल मार्च करते हुए सेल के जेनरल ऑफिस समक्ष प्रदर्शन किया. उसके बाद सेल प्रबंधन को मांग पत्र सौंपा. उन्होंने अपने मांग पत्र में लिखा कि गुवा लौह अयस्क खान में आजादी के पहले से खनन कार्य चल रहा है. जिसमें टेक्निकल व नन टेक्निकल लगभग 2000 कर्मी नियमित रूप से कार्य करते हुए आ रहे हैं. खनन की क्षमता 2.9 मिलियन टन से प्रतिवर्ष लौह अयस्क उत्पादन 4.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो गया है. अब गुवा खदान में कार्यरत स्थाई कर्मचारी की संख्या मात्र 400 से भी कम रह गया है. इसके स्थान पर बहाली के नाम पर बहुत ही कम लोगों को लिया गया है और ठेका मजदूरों से टेक्निकल व नन टेक्निकल कार्य कराया जा रहा है. जो श्रम कानून का घोर उल्लंघन है. ज्ञात हो कि कॉन्ट्रैक्ट लेबर (रेगुलेशन व एबोलिशन) एक्ट 1970 के सेक्शन 10 सब सेक्शन 1 मैं व्यवस्था दिया गया है की कोर एक्टिविटी जो 24 घंटो और सालों भर चलने वाले कार्य पर मुख्य नियोक्ता कंपनी ठेका मजदूरों से नहीं करा सकता है. परंतु अब गुवा अयस्क खान द्वारा खनन कार्य का काम स्थाई रिक्त पदों पर बहाली कर काम नहीं कराया जा रहा है. बल्कि उल्टे श्रम कानून, लेबर कानून को ताक में रखकर सार्वजनिक कंपनी सेल द्वारा अब गुवा अयस्क खदान की खनन की कार्य एमडीओ के माध्यम से निजी ठेकेदार को देकर श्रम कानून का उल्लंघन किया जा रहा.
ये रखी मांग
उन्होंने सेल प्रबंधन से मांग की है कि गुवा लौह अयस्क खान सेल द्वारा एमडीओ के माध्यम से नहीं कराया जाए, गुवा सेल कंपनी में जितने रिक्त पद(टेक्निकल व नन टेक्निकल) है उनकी बहाली अभिलंब निकाल कर रिक्त पद भरा जाए, गुवा सेल कंपनी में स्थाई बहाली में स्थानीय ग्रामीण व मजदूर के परिजनों को प्राथमिकता दी जाए, गुवा सेल कंपनी में सीएसआर के तहत अपने अपने पेरीफेरल क्षेत्र में सामुदायिक विकास हेतु कार्य के लिए सुनिश्चित बजट का प्रावधान किया जाए तथा कार्य स्थानीय के द्वारा कराया जाए. इस विशाल आंदोलन में संयुक्त यूनियनों के पदाधिकारियों में झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के रामा पांडे, बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन इंटक के दुचा टोप्पो, सीटू के मनोज मुखर्जी, सारंडा मजदूर यूनियन के कुल बहादुर, सप्लाई मजदूर संघ के राजेश कोड़ा, झारखंड मजदूर संघ के पंचम जॉर्ज सोय, जेएमएम के वृंदावन गोप, कोल्हान मजदूर यूनियन के ब्रज मोहन मिश्रा सहित सारंडा के विभिन्न गांव के ग्रामीण मौजूद थे.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा
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