देवघर (DEOGHAR) : Natal Diagnostic Techniques (PCPNDT) यानी पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम,1994 कानून लागू किया गया. इसके तहत प्रसव के पूर्व लिंग जांच कराना कानूनी अपराध माना गया. लेकिन इसका सख्ती से अनुपालन नहीं हो पाया है. यही कारण है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. देवघर में इसे सख्ती से पालन कराने के लिए स्थानीय सूचना भवन सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिला के सिविल सर्जन की मौजूदगी में आयोजित कार्यशाला में विभिन्न किलनिक संचालक और प्रसिद्ध चिकित्सकों ने भाग लिया. कार्यशाला के माध्यम से कई महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष जानकारी दी गई. सिविल सर्जन द्वारा इसके माध्यम से प्रसव पूर्व जांच पूर्णत बंद करने का आग्रह किया गया.
पुरुष लिंग अनुपात की स्थिति चिंताजनक
मौके पर सिविल सर्जन डॉ जुगल किशोर चौधरी ने देवघर में महिला पुरुष लिंग अनुपात की स्थिति पर काफी चिंता जताया है. देवघर में हजार पुरुषों पर मात्र 950 महिला की संख्या है. ऐसे में सिविल सर्जन द्वारा सभी से बेटी बचाओ का अपील किया गया. सिविल सर्जन ने कहा है कि समाज में कम लड़की रहने के कारण अपराध में वृद्धि और लड़कियों की तस्करी बृहद पैमाने पर होने का मामला प्रकाश में आते रहता है. झारखंड की बेटियां दिल्ली ,यूपी ,हरियाणा जैसे राज्यों में तस्करी का शिकार होती रहती हैं. सिविल सर्जन ने देवघर के क्लिनिक संचालकों से आग्रह किया है कि वह इस कानून को सख्ती से पालन करते हुए भूर्ण हत्या और लिंग जांच कर गर्भपात जैसे अपराधिक मामलों से दूर रहे.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर
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