टीएनपी डेस्क(TNP DESK): नेशनल हेराल्ड का जिक्र अभी चारों ओर छाया हुआ है. इसका एक कारण ये भी है कि इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम शामिल हैं और ईडी इनसे पूछताछ कर रही है. मगर, ये नेशनल हेराल्ड है क्या, आखिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और इसमें शामिल तमाम लोगों पर क्या आरोप हैं कि ईडी इन सभी के पीछे पड़ी हुई है. चलिए इस पूरे मामले को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं.

नेशनल हेराल्ड क्या है?

सबसे पहले ये जानते हैं कि आखिर नेशनल हेराल्ड क्या है? नेशनल हेराल्ड एक अखबार था, जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5,000 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1938 में शुरू किया था. उस समय स्वतंत्रता संग्राम में इस अखबार का एक अहम योगदान था. असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) इस अखबार को प्रकाशित करता था. आजादी के बाद यह अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया.

असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) इस अखबार को तीन भाषाओं में प्रकाशित करता था. इंग्लिश में नेशनल हेराल्ड, हिन्दी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से अखबार प्रकाशित होते थे. धीरे-धीरे ये अखबार घाटे में चलने लगे. इसे देखते हुए कांग्रेस ने इस अखबार को 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी दिया. मगर, इसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा और अंत में 2008 में ये अखबार बंद हो गया.

2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) के नाम से शुरू होता है नया ऑर्गेनाइजेशन

अब यहां से एक नये ऑर्गेनाइजेशन का उदय होता है. नाम होता है - यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL). 2010 में बना यह ऑर्गेनाइजेशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण कर लेता है. इस नए ऑर्गेनाइजेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शामिल थे. यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 76% थी तो वहीं बाकी के 24% का हिस्सा मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी. ये दोनों नेताओं का निधन हो चुका है. मोतीलाल वोरा 2020 और ऑस्कर फर्नांडीज का 2021 में इस दुनिया को छोड़ चले.

यंग इंडियन ने असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया था. इससे अधिग्रहण करते ही असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का लोन यंग इंडियन को ट्रांसफर हो गया था. कांग्रेस को अपना 90 करोड़ का लोन वापस चाहिए था. लोन चुकाने के बदले AJL ने यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए. इन 9 करोड़ शेयरों के मिलने के साथ ही यंग इंडियन के पास AJL के 99% शेयर आ गए. यंग इंडियन के पास जैसे ही 99% शेयर आए, कांग्रेस ने AJL को दिए अपने 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया.

बस यही डील बना है सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर हुए केस का पूरा आधार. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी सौदे पर सवाल उठाते हुए केस फाइल किया था. जिस पर अब ईडी जांच कर रही है.

केस क्या है?

सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में केस सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कर आरोप लगाया है कि कांग्रेस द्वारा 90 करोड़ का लोन माफ करते ही यंग इंडियन ने मात्र 50 लाख रुपए में AJL की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति अपने नाम कर ली.

दरअसल, स्वामी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली कंपनी AJL पर कांग्रेस का 90 करोड़ का लोन था. जब यंग इंडियन ने इस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया तब ये लोन यंग इंडियन को कांग्रेस को चुकाना था. मगर, इस लोन चुकाने के बदले यंग इंडियन ने AJL की 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति अपने नाम कर ली. वहीं इसके बाद कांग्रेस ने यंग इंडियन पर से 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया. मगर, इसके पहले यंग इंडियन ने कांग्रेस को 50 लाख रुपए का भुगतान किया था, इसके तहत कांग्रेस ने 90 करोड़ की जगह 89.50 करोड़ का लोन माफ किया. इसलिए सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि मात्र 50 लाख रुपए में यंग इंडियन ने AJL की 2,000 करोड़ की  संपत्ति कर ली.

50 लाख में ली गई 2,000 करोड़ की संपत्ति

स्वामी का आरोप है कि जैसे ही लोन वसूलने के लिए YIL को नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार मिल गया. YIL ने दिल्ली की प्राइम लोकेशन पर स्थित नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग को भी अधिग्रहित कर लिया जिसकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपए है. YIL पर ये भी आरोप लगाया गया है कि 2010 में जब ये कंपनी बनी थी तो इसकी संपत्ति मात्र 5 लाख रुपए थी, जो कुछ ही सालों में बढ़कर 800 करोड़ रुपए हो गई. वहीं इस मामले में इनकम  टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि राहुल गांधी को यंग इंडियन के शेयरों से 154 करोड़ रुपए की कमाई हुई. वहीं 2011-12 के लिए यंग इंडियन लिमिटेड को इनकम  टैक्स पहले ही 249.15 करोड़ रुपए टैक्स भुगतान का नोटिस जारी कर चुका है.

इसी मामले में ईडी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है. हालांकि, कांग्रेस का पक्ष इसमें अलग है. कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड एक नॉन फॉर प्रॉफ़िट ऑर्गेनाइजेशन है तो प्रॉफ़िट कमाने का कोई सवाल ही नहीं उठता और दूसरा इस कंपनी के तहत जितने भी ट्रैन्सैक्शन हुए हैं, वे financially नहीं बल्कि commercially हुए है.