छपरा(CHAPRA): लालू प्रसाद यादव राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी इन्होंने नामांकन दाखिल किया था. हालांकि इनका नामांकन प्रस्तावक की पूरी नहीं होने की वजह से रद्द हो गया था. इस बार लालू पूरी तैयारी में हैं और इनकी तैयारी पहले या दूसरे दिन नामजदगी का पर्चा दाखिल कर देने की है. 15 जून यानी आज वो हवाई जहाज से दिल्ली पहुंच रहे हैं. 

आप चौंक गए न! सिंगापुर जाते-जाते राजद सुप्रीमो लालू यादव दिल्ली में कहां थम गए। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव लड़ने राजद वाले लालू नहीं जा रहे बल्कि ये सारण जिले के लालू प्रसाद यादव हैं. राजनीति के दिग्गज हस्ती लालू प्रसाद यादव(Lalu Prasad Yadav) को कौन नहीं जानता लेकिन छपरा के एक लालू प्रसाद ऐसे हैं जो वार्ड सदस्य से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हैं. लालू प्रसाद यादव का हमनाम होने के कारण इन्हें मीडिया की सुर्खियां अच्छी खासी मिल जाती है. जिसके कारण ये सभी चुनाव में अपना नामांकन जरूर दर्ज कराते हैं. जिले के मढ़ौरा नगर पंचायत क्षेत्र स्थित यादव रहीमपुर के निवासी लालू यादव इस बार भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. फिलहाल इसके लिए नामजदगी करने की तैयारी में हैं. यह चुनाव इनके लिए नया नहीं है.

 

लालू का चुनावी सफर

लालू प्रसाद का चुनावी सफर 2001 में शुरू हुआ. जीवन का पहला चुनाव इन्होंने इस साल मढ़ौरा नगर पंचायत के वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा था. फिर 2006 व 2011 में भी अपने नगर पंचायत के वार्ड पार्षद चुनाव में कूदे लेकिन इन तीनों चुनावों में नाकमायाबी ही हाथ लगी. इसके बाद ये 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी छपरा से नामजदगी कर निर्दलीय प्रत्याशी बने और हार गए. 2015 का विधानसभा चुनाव भी इन्होंने मढ़ौरा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़ा और पराजित हो गए. यही नहीं विधान परिषद के 2016 में सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, 2020 में सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और 2022 में सारण त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन क्षेत्र के चुनावी मुकाबले में भी इन्होंने ताल ठोकी. लेकिन असफल ही रहे.

चुनाव लड़ने का रिकार्ड बनाना है उनका सपना

लालू यादव का सपना चुनाव लड़ने का रिकार्ड बनाना है. कहते हैं कि चुनावी अखाड़े में कूदने का उनका सिलसिला थमने वाला नहीं. वे सियासत के उन खिलाड़ियों में से नहीं जो हार मान कर बैठ जाय. इनका मानना है कि कभी तो जनता उन्हें मौका देगी और विश्वास है कि एक दिन उन्हें राज्य या देश के किसी सदन में पहुंचने का मौका जरूर मिलेगा. राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के बावत बताते हैं कि प्रत्याशी बनने के लिए उन्हें सौ प्रस्ताव की जरूरत है. फिलहाल उन्हें 35-40 प्रस्तावक मिल चुके हैं. शेष की व्यवस्था दिल्ली पहुंच कर करेंगे. नामांकन के अंतिम दिन तक प्रस्ताव की सूची जमा हो सकती है, इसलिए पहले नामांकन होगा और फिर शेष प्रस्तावकों की खोज शुरू होगी.  

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