टीएनपी डेस्क(TNP DESK): देश में राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है. देश के 15वें राष्ट्रपति कौन होंगे, इसके बारे-बारे में अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं. मगर, लोगों के जहन में इस चुनाव से जुड़े और भी सवाल हैं, जैसे कि राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का क्या तरीका है, कैसे विधायकों और सांसदों का वोट का वेटेज अलग-अलग तय होता है. तो चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.

पहले आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में देश की आम जनता सीधे तौर पर इस चुनाव में भाग नहीं लेती है. मगर, अप्रत्यक्ष तौर पर भाग लेती है. इसका मतलब है कि जनता खुद भाग नहीं लेती मगर, उनके द्वारा चुने गए विधायक और सांसद इस चुनाव में भाग लेते हैं. इसमें भी किसी सदन के मनोनीत सदस्य को इस चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्हें जनता नहीं चुनती है. इसके साथ ही किसी राज्य के विधानपरिषद सदस्य भी इस चुनाव में भाग नहीं ले सकते.

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सांसद या विधायक के वोटों की गिनती कैसे होती है

राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का तरीका बेहद ही पेचीदा है, क्योंकि इस चुनाव में सांसदों और विधायकों के वोटों का वेटेज अलग होता है. देश में राज्यसभा और लोकसभा दोनों को मिलाकर कुल अभी 776 निर्वाचित सांसद हैं.  वहीं कुल 4076 विधायक हैं. इस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4809 इलेक्टर्स वोट डालेंगे. मगर, जिनकी वोट वैल्यू 4809 नहीं बल्कि 10,86,431 होती है. इसमें से विजयी उम्मीदवार को 5,43,216 वोट वैल्यू चाहिए होता है, तभी वह विजयी हो सकता है. पहले वोट वैल्यू थोड़ी ज्यादा थी, मगर, धारा 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. इससे जम्मू कश्मीर विधानसभा में जो 87 विधायक होते थे, उनकी विधायकी खत्म हो गई, साथ ही उस इलाके से 4 सांसद भी आते थे. उनकी संख्या भी कम हुई. पहले जहां एक सांसद का वोट वैल्यू 708 होता था, वह अब 700 है.

सांसदों का वोट वैल्यू कैसे तय होता है

सांसदों का वोट वैल्यू तय करने का एक नियम है. देश के सभी सांसदों का वोट वैल्यू समान होता है, चाहे वो उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य से हो, या गोवा या सिक्किम जैसे छोटे राज्य से. सांसदों के वोट वैल्यू के लिए सबसे जरूरी चीज है देश के कुल निर्वाचित विधायकों का वोट वैल्यू. देश में जितने भी निर्वाचित विधायकों का वोट वैल्यू होता है उसे सांसदों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है, भाग देने के बाद जो संख्या आती है वो एक सांसद का वोट वैल्यू होता है.

आसान भाषा में,

सांसदों का वोट वैल्यू = निर्वाचित विधायकों का वोट वैल्यू/सांसदों की संख्या

सांसदों का वोट वैल्यू = 5,43,231/776 = 700

मतलब एक सांसद का वोट वैल्यू 700 होता है. वहीं देश के सभी 776 सांसदों का वोट वैल्यू निकाला जाए तो ये 776*700= 5,43,200 होंगे.

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विधायकों का वोट वैल्यू

अब इसमें बड़ा सवाल होता है कि विधायकों का वोट वैल्यू कैसे पता चलेगा. तो बता दें कि हर राज्य के विधायकों की वोट वैल्यू अलग-अलग होती है. इसलिए इसे कैल्क्यूलेट करना थोड़ा कठिन है. हर राज्य की विध्यकों का वोट वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है. जैसे उत्तरप्रदेश की जनसंख्या सबसे अधिक है तो उस राज्य के विधायकों का वोट वैल्यू भी सबसे ज्यादा होता है. ये भी जानना जरूरी है कि विधायकों का वोट वैल्यू वर्तमान जनसंख्या पर नहीं बल्कि 1971 के जनसंख्या के आधार पर तय होता है.

विधायकों का वोट वैल्यू तय करने का भी एक फार्मूला है. ये फार्मूला है –

एक विधायक का वोट वैल्यू = उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की कुल जनसंख्या/ उस राज्य के कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कितने वोट की जरूरत होती है?

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए किसी भी प्रत्याशी को कुल वोट वैल्यू के आधे से अधिक वोट मिलने जरूरी होते हैं. इसे कोटा कहा जाता है. देश में 4809 विधायक और सांसद हैं, ऐसे में अगर मान लिया जाए कि सभी ने वोट डाला और सभी के वोट वैध हैं तो राष्ट्रपति चुनाव में विजेता के गणना का फार्मूला कुछ इस प्रकार है,

कोटा = MP के कुल वोटों की वैल्यू + MLA के कुल वोटों की वैल्यू + ½

यानि कि, अगर इस बार के राष्ट्रपति चुनाव की गणना करें तो विजेता प्रत्याशी को 5,43,216 वोट चाहिए. 

5,43,200 + 5,43,231 +1/2 = 1086431 +1/2 = 5,43,216

राष्ट्रपति 2022 चुनाव के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा = 5,43,216

कैसे पता चलेगा कि कौन से वोट विधायक ने डाले तो कौन से वोट सांसद ने

ये एक बड़ा सवाल है कि जब सांसदों का वोट वैल्यू और विधायकों का वोट वैल्यू अलग-अलग होता है तो चुनाव आयोग को कैसे पता चलेगा कि कौन से वोट किसके हैं? इसके लिए भी इस चुनाव में एक खास तरीका अपनाया जाता है. विधायकों को वोट डालने के लिए गुआबी रंग का बैलेट दिया जाता है तो वहीं सांसदों को हरे रंग का बैलट दिया जाता है. इस बैलट पर विधायक और सांसद अपने प्रेफ्रन्स के हिसाब से नंबर लिखते हैं. इसके साथ ही चुनाव आयोग एक खास रंग के स्याही वाले पेन का चयन करता है जिससे सभी विधायक और सांसद बैलेट पेपर पर अपने प्रेफ्रन्स लिखते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सभी का वोट एक जैसा हो और अगर कोई कुछ गड़बड़ी करे तो वो पकड़ा जा सके. 

बैलेट पेपर पर कैसे होती है वोटिंग ?

राष्ट्रपति चुनाव evm की जगह बैलेट पेपर पर होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में प्रेफरेंशियल वोटिंग होता है. इसक मतलब ये है कि आम चुनावों के जैसे बैलेट पेपर पर अपने प्रत्याशी के नाम के आगे मुहर नहीं लगाया जाता है, बल्कि इसमें सभी उम्मीदवारों को प्रेफ्रन्स के हिसाब से नंबर दिया जाता है. जैसे अपने पसंदीदा प्रत्याशी को एक नंबर, तो उसके बाद के पसंदीदा प्रत्याशी को डो नंबर कर के प्रेफ्रन्स दिया जाता है. अभी जो आम चुनाव के लिए EVM का उपयोग होता है, उसमें ये फीचर नहीं है. ऐसे में एक नए अलग तरीके के EVM की जरूरत पड़ेगी. इसलिए बैलेट पेपर का उपयोग किया जाता है.