रांची(RANCHI): केंद्र सरकार ने कैबिनेट से जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को पास किया है. इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के साथ ही देश में इसकी चर्चा शुरू हो गई. खास कर ऐसे समय में इस फैसले को लिया गया है जब बिहार,बंगाल समेत अन्य कई राज्यों में चुनाव है. अब इस मुद्दे को चुनाव में भी भुनाने की पूरी कोशिश होगी.लेकिन जातिगत जनगणना की मशाल पहले ही कांग्रेस जला चुकी है. अब देखना होगा की चुनाव में क्या होता है. लेकिन यह निर्णय देश के लिए बेहद बड़ा है. जातिगत जनगणना के प्रस्ताव पास होने के बाद झारखंड में कांग्रेस की कद्दावर और हेमंत कैबिनेट की मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने इसे देश के लिए निर्णायक कदम बताया है.           

उन्होंने कहा कि देश के सामाजिक ताने-बाने में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाला निर्णय लिया गया है.  केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फ़ैसला किया है.  यह कोई सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है.

यह निर्णय वर्षों से चल रहे उस संघर्ष का प्रतिफल है, जिसकी अगुवाई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कर रहे थे.  उन्होंने संसद से लेकर सड़क तक, हर मंच पर यह सवाल उठाया कि जब तक देश के वंचित, पिछड़े और शोषित समाज की सही गिनती नहीं होगी, तब तक उनके लिए बनी नीतियाँ अधूरी रहेंगी.

जातिगत जनगणना केवल एक आँकड़ा संग्रह नहीं, बल्कि उन करोड़ों लोगों को न्याय दिलाने का माध्यम है जिनकी पहचान और हिस्सेदारी अब तक उपेक्षित रही है.  यह सुनिश्चित करेगा कि वंचित वर्गों को उनकी आबादी के अनुपात में योजनाओं में भागीदारी, संसाधनों में हिस्सेदारी और नीति-निर्माण में प्रतिनिधित्व मिल सके. जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया है, तो यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी जी के निरंतर संघर्ष, जनता के समर्थन और सामाजिक चेतना के दबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा.

कांग्रेस पार्टी इस निर्णय का स्वागत करती है और इसे वंचितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और सभी उपेक्षित वर्गों की ऐतिहासिक जीत मानती है. राहुल गांधी ने जो आवाज़ उठाई, वह आज देश की नीतियों की दिशा बदल रही है. हम उनका आभार प्रकट करते हैं और आशा करते हैं कि अब हर उस व्यक्ति को, जिसे दशकों से हाशिए पर रखा गया, उसका हक़ मिलेगा — पहचान भी, भागीदारी भी.