धनबाद(DHANBAD): संशोधित झरिया मास्टर प्लान में रोजगार का मुद्दा प्रमुखता से रहेगा, इसकी संभावना अब बनती दिख रही है.  पिछले एक  साल में झरिया पुनर्वास के मामले को लेकर कोयला मंत्री सहित चार केंद्रीय टीम धनबाद पहुंच चुकी है.  विस्थापितों ने सभी से रोजगार की मांग की.  सोमवार को स्वरोजगार से जुड़े विभागों के अधिकारियों की टीम दो दिन के दौरे पर धनबाद आई थी.  यह  टीम स्वरोजगार की योजनाओं पर मंथन की है.  जेआरडीए  के प्रबंध निदेशक सह  धनबाद की डीसी  सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ  टीम ने समीक्षा बैठक की.  सवाल उठे कि आखिर बेलगड़िया  में शिफ्टिंग के लिए लोग  तैयार क्यों नहीं हो रहे.  इस मामले में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है. 

अग्नि प्रभावित क्षेत्र में जान जोखिम में डालकर भी लोग रह रहे 

 झरिया में लोग  जान खतरे में डालकर अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं, लेकिन हटाना नहीं चाह रहे है.  इसका मूल वजह रोजगार ही है.  जेआरडीए की ओर से पीपीटी के माध्यम से झरिया मास्टर प्लान की अध्ययन स्थिति, शिफ्टिंग की स्थिति, फेज  वाइज  शिफ्टिंग की प्रगति, निर्माण कार्य की अपडेट  स्थिति, 2004 एवं 2019 की सर्वे की जानकारी के साथ संशोधित झरिया मास्टर प्लान की जानकारी भी टीम के अधिकारियों को दी गई.  यह टीम जगह-जगह जाकर लोगों से जानना चाही   कि आखिर वह लोग इलाके को छोड़ना क्यों नहीं पसंद करते. 
बता दे कि  झरिया की भूमिगत आग और विस्थापन की समस्या पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर है. 

इसके पहले भी पीएमओ के अधिकारी  पहुंचे थे झरिया 

इसके पहले भी पीएमओ के अधिकारी झरिया पहुंचे थे. फिर पीएमओ के निर्देश पर एक टीम झरिया पहुंची थी . यह टीम विस्थापितों से जानने की कोशिश की   कि उन्हें रोजगार से कैसे जोड़ा जाए. यह अलग बात है कि झरिया विस्थापन को लेकर संशोधित मास्टर प्लान की अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. अधिकारियों की टीम बारीकी से जानने की कोशिश की कि विस्थापितों को रोजगार से कैसे जोड़ा जाए.  यह टीम झरिया पुनर्वास योजना के तहत विस्थापित हुए और होने वाले लोगों के रोजगार की संभावनाओं पर भी अपनी रिपोर्ट दे सकती है.  यह टीम झरिया पुनर्वास योजना के तहत बेलगडिया  में बसे लोगों से भी भेंट की है. 

1995 से ही झरिया की आग की वजह से हो रही घटनाये 

झरिया  की यह आग 1995 से ही संकेत दे रही है कि अब उसकी अनदेखी खतरनाक होगी. 1995 में झरिया चौथाईकुल्ही में पानी भरने जाने के दौरान युवती जमींदोज हो गई थी. 24 मई 2017 को इंदिरा चौक के पास बबलू खान और उसका बेटा रहीम जमीन में समा गए थे. इस घटना ने भी रांची से लेकर दिल्ली तक शोर मचाया ,लेकिन परिणाम निकला शून्य बटा सन्नाटा. 2006 में शिमलाबहाल में खाना खा रही महिला जमीन में समा गई थी. 2020 में इंडस्ट्रीज कोलियरी में शौच के लिए जा रही महिला जमींदोज हो गई थी. फिर इधर 28 जुलाई 2023 को घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में चला गया. पहले तो बीसीसीएल प्रबंधन घटना से इंकार करता रहा लेकिन जब मांस जलने की दुर्गंध बाहर आने लगी तो झरिया सीओ की पहल पर NDRF की टीम को बुलाया गया. टीम ने कड़ी मेहनत कर 210 डिग्री तापमान के बीच से परमेश्वर चौहान के शव का अवशेष निकाला. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो