टीएनपी डेस्क(TNP DESK): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य मंत्रियों को अपशब्द बोलने के मामले में जौनपुर के मीरागंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी को पढ़ने से संज्ञेय अपराध बन रहा है.इसलिए प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने के लिए कोर्ट को कोई आधार नहीं बनता है.

कोर्ट ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पूरी स्वतंत्रता दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने मुमताज मंसूरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है.लेकिन इस अधिकार का प्रयोग किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली-गलौज या अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं किया जा सकता.यहां तक कि प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी नहीं है.

मामले में याची ने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था. याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी.हाईकोर्ट ने प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.