धनबाद(DHANBAD) आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई झरिया की सावनी कुमारी. बिजली के झटके ने किस्तों में उसके प्राण लिए. केवल 14 साल की उम्र में ही वह दुनिया की तमाम दुस्वारिया झेलते हुए अलविदा कह गई. पिछले 8 नवंबर को बिजली के तार की चपेट में आकर परिवार के 5 लोगों के साथ वह घायल हुई थी. झरिया के बिहार टॉकीज के पास बिजली के 11000 वोल्ट के तार घर की छत के उपर से गुजरी थी. तार एक पाइप के संपर्क में आया और देखते देखते पांच लोग झुलस गए. 14 साल की सावनी कुमारी को बेहतर इलाज के लिए रांची के देवकमल अस्पताल में ले जाया गया. यहां उसका इलाज चल ही रहा था कि डॉक्टरों की सलाह पर उसके दोनों हाथ काटने पड़े. उम्मीद बढ़ी कि बिना हाथ के ही सही, वह जी पाएगी. लेकिन नियति को यह भी मंजूर नहीं था और रांची में ही रविवार की देर रात उसके प्राण पखेरू उड़ गए.
खतरों के बीच झरिया के लोगों की जिंदगी
झरिया यानि खतरों का शहर. माफिया से खतरा ,मवालियो से खतरा ,जमीन के उपर बिजली के तारो के मकड़जाल से खतरा और जमीन के नीचे भूमिगत आग से खतरा. अचानक जमीन फटने से झरिया और आसपास की कई जिन्दगिया जमीन में समा गई है, लेकिन जमीन के ऊपर के बिजली के तार से पहली मौत का मामला हाल के दिनों में सामने आया है. बिजली के तारों का मकड़जाल तो ऐसा है कि देख कर ही डर लगता है, लेकिन बेपरवाह बिजली विभाग को इससे कोई अंतर नहीं पड़ता. उपभोक्ताओं को राहत देने के बजाय उनकी गर्दन मरोड़कर बकाया वसूलने तक ही जानता है.
किशोरी की मौत ने उठाए सैकड़ो सवाल
इसे केवल एक दुर्घटना माना जाए या लापरवाही का नतीजा. लोगों को सुरक्षित बिजली देना तो विभाग की ही जिम्मेवारी है, तो फिर लापरवाही करने वाले को भी तो सजा मिलनी चाहिए. पीड़ित परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है, उसकी कोई भी आवाज़ नहीं उठेगी तो क्या वोट की राजनीति करने वाले कोई जनप्रतिनिधि उनकी आवाज़ बनेगे. धनबाद शहर के बैंकमोड़ में भी बिजली के तार की चपेट में आकर मां ,बेटी सहित 3 लोग घायल हुए थे. अगर विभाग इस घटना को गंभीरता से लिया होता तो झरिया की बेटी की कम से कम जान नहीं जाती.
रिपोर्ट :अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड,धनबाद
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