रांची(RANCHI): जेएससीसी के बाद अब जेटेट परीक्षा से मैथिली, अंगिका, मगही और भोजपुरी भाषाओं को बाहर  करने की तैयारी हो रही है. जानकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री की भी स्वीकृति मिल चुकी है और  प्रस्ताव को विधि विभाग के पास भी भेजा जा चुका है. आगे मानें तो नई नियमावली के आधार पर ही अब परीक्षा होगी. झारखंड से मैट्रिक और इंटरमीडिएट करने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थी ही शिक्षक पात्रता परीक्षा में बैठ सकेंगे. वहीं, 12 क्षेत्रीय भाषाओं में से किसी एक में क्वालीफाई करने पर ही वे परीक्षा में पास हो सकेंगे. भोजपुरी, अंगिका, और मगही को क्षेत्रीय भाषाओं में नहीं रखा गया है. प्रस्ताव में स्पष्ट है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए देश के किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से डीएलएड या बीएड होना अनिवार्य होगा. अभ्यर्थी सूबे के सरकारी या निजी स्कूलों से ही 10वीं या 12वीं पास होने चाहिए. ऐसे लोग ही आवेदन कर सकेंगे और परीक्षा में शामिल हो सकेंगे. वहीं इस प्रस्ताव को लेकर प्रदेश भाजपा ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह बेहद निंदनीय है और राज्य के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लाखों मूलवासी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय भी है. सत्ता में शामिल कांग्रेस और राजद को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए.

रिपोर्ट: अभिनव कुमार, रांची