जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) - हम आप शहर के रास्तों से हमेशा ही गुजरते हैं, लेकिन हम कभी अपने आसपास की ऐतिहासिक और हेरीटेज़ स्मार्क पर ध्यान नहीं देते. वहीं हमारे बड़ों द्वारा इनको संभालकर रखा गया है, ताकि हम कभी कभी इतिहास को महसूस करते हुए वर्त्तमान को जिएं. आईए आपको जमशेदपुर की कुछ ऐतिहासिक पुरातन हेरीटेज टूर कराते हैं, जो आज खास तौर पर टाटा स्टील की ओर से आयोजित किया गया.
जमशेदपुर के करता-धरता - भू विज्ञानी पीएन बोस
जमशेदपुर की बात करें तो सबसे पहले लोगों को ये जानना चाहिए कि आखिर कौन वो शख्स था जिसने जे. एन. टाटा को जमशेदपुर के बारे में बताया और तब जाकर सपनों का शहर और सपनों का स्टील प्लांट बना तो वह शख्स थे भू विज्ञानी पीएन बोस. उन्होंने ही जंगलों से भरे इस जगह की खोज की. उनकी याद में बिष्टुपुर आर्मेरी ग्राउंड के पास एक मूर्ति स्थापित की गई है जिनको नमन जरूर करना चाहिए. ये जमशेदपुर का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है.
घंटा घर की आवाज़ से होती थी समय की पहचान
आज की पीढ़ी को शायद ही पता हो किसी ज़माने में जब सबके पास घड़ी नहीं होती थी तब लोग clock tower यानि घंटा घर की आवाज़ से समय पहचानते थे. आज भी ये clock tower गोलमुरी गोल्फ कोर्स में महफूज़ है. जिसकी देखरेख टाटा करती है. फर्क यही है कि पुराने ज़माने में इसकी आवाज़ गोलमुरी से लेकर परसुडीह, गोलपहाड़ी तक जाती थी और आज ध्वनि प्रदूषण, गाड़ियों, कारखानों के शोर में आवाज़ की रेंज कुछ कम हो गई है फिर भी यहां आकर सुनना अद्भुत एहसास देता है. बता दें कि 1939 में इस clock tower को बनाया गया था जो 2014 के आस पास खराब हो गई थी जिसे टाटा की सब्सिडियरी कंपनी जुस्को की ओर से ठीक करवाया गया. इसमें लगी घड़ी स्विस कंपनी की है जो बैटरी से चलती है.
जमशेदपुर शहर की स्थापना
दूसरा महत्वपूर्ण स्थल सर दोराब जी पार्क है. हम सब जानते हैं कि जे एन टाटा ने टाटा स्टील और जमशेदपुर शहर की स्थापना की थी. ब्रिटिश काल में पहला भारतीय स्टील प्लांट बनाने का जो सपना जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने देखा था, उसे उनके बेटे सर दोराब जी टाटा ने पूरा किया. जब 1907 में टाटा स्टील में प्रोडक्शन शुरू हुआ. स्वप्नद्रष्टा जे एन टाटा खुद जीवित नहीं रहे और 1904 में ही मौत हो गई लेकिन सर दोराब जी टाटा ने सपनों को पूरा किया और उनके अनुरुप स्टील प्लांट बनाकर खूबसूरत शहर जमशेदपुर बसाया. उनकी याद में सर दोराबजी पार्क बनाया गया जिसकी खूबसूरती में चार चांद और लग गए हैं. जबसे इसमें हीरे की आकृति बनाई गई है. दरअसल कंपनी की आर्थिक हालत बिगड़ने पर सर दोराब जी टाटा की पत्नी मेहरबाई ने अपने पास रखी दुनिया की सबसे छठी महंगी हीरे की अंगूठी गिरवी रख दी थी. यही वजह है कि उनके सम्मान में ये आकृति बनाई गई है.
ब्रिटिश ज़माने का आर्किटेकचर डिज़ाईन
जमशेदपुर में ब्रिटिश ज़माने के यूनाईटेड क्लब, डायरेक्टर बंग्लो आज भी हैं. जो अपने डिज़ाईन से अद्भुत लुक देते हैं. वहीं बिष्टुपुर का सेंट George चर्च सबसे पुराने चर्चों में से है. जिसे 1916 में बनाया गया था. शहर के बहुत कम लोग ध्यान देते होंगे कि जब वे टेल्को तार कंपनी के बगल से गुजरते हैं, तो लाल रंग का बंकरनुमा भवन दर असल ब्रिटिश ज़माने का है. द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45)के आस पास बचाव के लिए सैनिक इन बंकरों का उपयोग करते थे. जमशेदपुर शहर में महात्मा गांधी,तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस जैसे महानुभाव भी महत्त्वपूर्ण दौरा कर चुके हैं. देश के पहले सुनियोजित शहर और पहले भारतीय स्टील प्लांट की स्थापना में टाटा के अमूल्य योगदान की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. उम्मीद है कि इस रिपोर्ट से आप अपने शहर के भीतर थोड़ा और झांकने में सफल रहे होंगे.
रिपोर्ट : अन्नी अमृता, जमशेदपुर
Recent Comments