रांची (RANCHI) : गरीबों की निस्वार्थ भाव से इलाज करने वाले डॉक्टर आज बहुत ही कम हैं. इन्हीं गिने चुने डॉक्टरों में रांची के डॉक्टर अजीत कुमार का नाम भी शामिल है. डॉ अजीत को बेस्ट यंग डॉक्टर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार बीते दिन पटना के बापू सभागार एसके मेमोरियल हॉल गांधी मैदान में आयोजित एक समारोह में दिया गया. आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ जे.ए जया लाल ने उन्हें सम्मानित किया. बता दें कि डॉ अजीत रांची के सदर अस्पताल में कार्यरत हैं. कोरोना महामारी के दौर में बिना अपनी जान की परवाह किए वे मरीजों की सेवा में दिन रात जुटे रहे. इस कारण अब लोग उन्हें जाबांज डॉक्टर अजीत के नाम से ज्यादा जानते हैं.
सादर अस्पताल में पहली बार पाइलोनिडल साइनस का इलाज लेजर सर्जरी के माध्यम से किया गया
डॉ अजीत ने कोरोना काल में मां बनी कई बहनों से खूब दुआएं भी बटोरी. वे वर्षों की दर्द से कराह रहे गरीब तबके के मरीजों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. गुजरे 20 साल से दर्द से कराह रही सुनीता का दुख हर कर उन्होंने खूब वाहवाही बटोरी. सुनीता की कमर में पानी भर गया था. छोटे-बड़े कई डॉक्टरों ने उसका इलाज किया मगर उसका दर्द ठीक नहीं हुआ. किसी के बताने पर जब चुटिया की सुनीता डॉ अजीत से मिली तब सिर्फ एक रुपया में ही उसका सारा दुख दूर कर दिया. सुनीता के ऑपरेशन से लेकर उसके दवा दारू तक का इंतजाम डॉ अजीत की पहल पर किया गया था. डॉ अजीत द्वारा ही सदर अस्पताल रांची में पहली बार पाइलोनिडल साइनस का इलाज लेजर सर्जरी के माध्यम से किया गया. राज्य और देश को ऐसे डॉक्टरों की और आवश्यकता है जो बिना वक्त देखे गरीबों के इलाज के लिए हमेशा खड़े रहते हैं.
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