रांची(RANCHI): झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के बाद अब रिम्स 2 कि तैयारी ज़ोरों शोरों पर है. पर इन दिनों रिम्स 2 को लेकर रांची के काके नगड़ी इलाके में पुरजोर विरोध देखने को मिल रहा है, साथ ही प्रस्तावित सरकारी अस्पताल पर सियासत भी तेज हो चुकी है. दरअसल आदिवासी संगठनों का मानना है कि रांची के काके नगड़ी इलाके की जो जमीन रिम्स 2 के लिए चिन्हित की गई है, वह असल में पारंपरिक आदिवासी जमीन है. ऐसे में जब रिम्स 2 के निर्माण के लिए मापी की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तबभी स्थानीय आदिवासियों के द्वारा विरोध किया गया था. वहीं अब अपनी मांगों को एक बड़े पटल पर रखने के लिए कल यानि कि 18 जून को रांची स्थित राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इस धरने में कई आदिवासी संगठन हिस्सा भी लेंगे.
क्या है विवाद की वजह
दरअसल जिस इलाके में रिम्स 2 बनना प्रस्तावित है उस इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि वह जमीन उनकी पारंपरिक जमीन है और प्रक्षाशन उसे जबरदस्ती हड़पना चाहती है. ऐसे में मौजूद लोगों का यह कहना है कि जिस जमीन पर रिम्स 2 बनाए जाने कि तैयारी है, उस जमीन के कागजात ग्रामीणों के पास मौजूद हैं, वहीं कांके अंचल के सीओ ने दलील दी थी कि जिस जमीन पर रिम्स 2 के लिए मापी हो रही थी, वह बिरसा एग्रीकल्चर की जमीन है. असल में स्वस्थ्य विभाग कि ओर से 110 एकड़ भूमि पर 1,074 करोड़ की लागत से रिम्स 2 बनाने का फैसला लिया गया है. रिम्स 2 में मरीजों के लिए 700 बेड की सुविधा उपलब्ध होगी, साथ ही यूजी की 100 और पीजी की 50 सीटों पर पढ़ाई भी होगी.
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