धनबाद (Dhanbad) झारखण्ड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (झमाडा ) के प्रबंध निदेशक दिलीप कुमार 13 सितंबर सोमवार को बिना रिलीवर को चार्ज दिए स्वतः प्रभार छोड़ कर रांची में पर्यटन संयुक्त सचिव का पदभार ग्रहण कर लिया. दरअसल,उनका तबादला तो सरकार ने 8 सितंबर को कर दिया लेकिन यहाँ किसी अधिकारी को भेजना भूल गई. अब हालत यह है कि यहाँ के किसी अधिकारी के पास वित्तीय अधिकार नहीं है. वरीय अधिकारी के रूप में केवल तकनीकी सदस्य और असिस्टेंट इंजीनियर (एसडीओ) है ,जिनके पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है. साथ ही साथ झमाडा की जिम्मेवारी किसकी होगी ,इसको लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है. | कर्मियों के वेतन व पवना का भुगतान कैसे होगा, झमाडा में जल शोधन में होने वाले खर्च का इंतजाम कैसे होगा. आदि तमाम सवाल है ,जिनका जवाब यहाँ के कोई भी अधिकारी देने की स्थिति में नहीं है. झमाडा में अभी लगभग 500 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं और झरिया कोयलांचल में पानी सप्लाई का जिम्मा इसी के पास है. तत्काल अगर सरकार किसी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति नहीं करती या किसी को वित्तीय अधिकार नहीं देती है तो झरिया के लोगो को बून्द बून्द पानी को तरसना पड़ सकता है. वही 46 माह से लंबित वेतन भुगतान की आस लगाए कर्मचारियों में ना सिर्फ़ आक्रोश व निराशा भाव जागेगा. बल्कि उनके जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो जाएगा. The news post के धनबाद ब्यूरो प्रमुख अभिषेक कुमार सिंह से खास बातचीत में माडा के कार्यरत कर्मचारी व अधिकारी दोनों ने बताया कि वे लोग स्थाई एमडी की आस लगायें बैठे है. ताकि संकट टल जायें. ग़ौरतलब है कि पूर्व एमडी दिलीप कुमार धनबाद में रहते हुए पिछले 8 माह से तबादले के जुगाड़ थे. ऐसे में ज्यादातर समय वे आवासीय कार्यालय से अपना काम निपटाते रहे और तबादले के बाद चलते बने.
एमडी के तबादले के बाद धनबाद में गहरा सकता है पानी का संकट, 46 माह से बिना वेतन के काम कर रहे कर्मचारी

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