सरायकेला ( SARAIKELA) ओत गुरु कोल लाको बोदरा की 102 वी जयंती सरायकेला जिले में धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर सरायकेला जिला के बड़बिल स्थित आदिवासी कला गृह के समीप स्थित उनके आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा ली गई. आदिवासी हो समाज महासभा के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में सुबे के मंत्री चंपई सोरेन, खरसावां विधायक दशरथ गगराई की पत्नी दशमत गगराई समेत कई गणमान्य लोगों ने शिरकत की. वारंग लिपि के जनक ओत गुरु कोल लाको बोदरा की जयंती कार्यक्रम में कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जिसमें छोटे बच्चे बच्चियों के अलावा नौजवानों ने भी कई नृत्य के कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया.
मंत्री चंपई सोरेन ने की घोषणा
इस मौके पर अपने संबोधन में मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि ओत गुरु कोल लाको बोदरा के कारण ही समाज को अपनी भाषा अभिव्यक्त करने की अवसर मिला. वरांग क्षिति लिपि के निर्माण के बाद ही हो समाज के भाषा संस्कृति के विकास में आमूलचूल परिवर्तन हुआ. यह समाज के लिए स्वर्णिम देन है. उन्होंने कहा कि अब इस लिपि और समाज के भाषा संस्कृति के संरक्षण को लेकर प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर तक सरकारी विद्यालयों में वरांग क्षिति लिपि की पढ़ाई सुनिश्चित करने हेतु प्रयास किया जाएगा. इस बाबत समाज के लोगों ने सीएम हेमंत सोरेन को ज्ञापन भी दिया है. वे खुद सीएम हेमंत सोरेन से मिलकर इस दिशा में क्रियान्वयन का प्रयास करेंगे. ताकि हो समाज की नई पीढ़ी अपनी लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके और भाषा संस्कृति का संरक्षण हो. साथ ही उन्होंने तितिरविला में आदिवासियों के पारंपरिक पूजन स्थल देशाऊली में आधारभूत संरचनाओं के विकास की बात कही. जहां आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक पूजा करने के साथ समाज के विकास हेतु बैठक भी करेंगे.
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