पाकुड(PAKUR)-पाकुड़िया  प्रखंड के झरिया गांव में प्रखंड की गर्भवती और धात्री माताओं को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध मुहैया कराने के लिए करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन मातृत्व सेवा सदन का कार्य बीते 11 वर्षों से ठप पड़ा है. पाकुडिया चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवल कुमार के अनुसार अस्पताल का कार्य क्यों बंद पड़ा, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि निर्माणाधीन अस्पताल पूरा कराए जाने को लेकर जनहित में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि जल्द ही इसे पूरा कराए जाने की दिशा में कार्रवाई की जाएगी.

दूर-दराज़ जाकर महंगा ईलाज कराने को मजबूर है ग्रामीण

बता दें कि वर्ष 2008 में इस मातृत्व सेवा सदन का निर्माण कार्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की ओर से शुरू किया गया था. जिसे अब तक लाखों रुपए खर्च भी हुए हैं, लेकिन कई वर्षों से निर्माण बिल्कुल ही बंद पड़ा है. इस महत्वाकांक्षी योजना की अमल में आ जाने का सीधा फायदा प्रखंड के गरीब प्रसूति माताओं सहित उनके समस्त परिजनों को मिलता है. जिनके बिना आज उन्हें हजारों रुपए खर्च कर निकटवर्ती पश्चिम बंगाल नलहटी, रामपुरहाट, बहरामपुर, जंगीपुर, मालदा, सिउड़, बर्धवान, कोलकत्ता स्थित दूरदराज के अस्पतालों में जाना पड़ता है. आदिम जनजाति सुदूरवर्ती बाहुल क्षेत्र पाकुडिया प्रखंड के एकमात्र मातृत्व सेवा सदन के पूरे हो जाने से यहां के गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.

रिपोर्ट:आसिफ,पाकुड़िया,पाकुड़