टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड सरकार ने राज्य में विस्थापन और पुनर्वास के मुद्दों के समाधान के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है. सरकार ने झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी है. साथ ही आयोग की नियमावली भी मंजूर कर दी है. यहां तक की अध्यक्ष, सदस्य-सचिव या सदस्यों की नियुक्ति के मानदंड भी तय कर दिए गए हैं. बता दें कि झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास का उद्देश्य विस्थापितों के हितों की रक्षा करना और उनके पुनर्वास के लिए कार्य करना है. इससे विभिन्न कारणों से 1.50 लाख से ज्यादा विस्थापित परिवारों को लाभ मिलेगा.
विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग नियमावली की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद जेएलकेएम अध्यक्ष जयराम महतो ने सरकार का आभार जताया है. बताते चलें कि झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान भी जयराम ने विस्थापन एवं पुनर्वास को मुद्दा उठाया था. मानसून सत्र में गैर-सरकारी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने जल्द ही आयोग के गठन का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा था कि यह प्रस्ताव कैबिनेट को भेज दिया गया है. मंगलवार को इस प्रस्ताव और इसके नियमों को मंजूरी दे दी गई. गौरतलब है कि उद्योगों, खनन, बांधों और जलाशयों के लिए भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापित परिवारों को अक्सर नौकरी, उचित मुआवजा और पुनर्वास जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
सदन में प्रयास और संघर्ष रंग लाया
— Tiger jairam mahto (@JairamTiger) September 2, 2025
झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग (गठन, कार्य एवं दायित्व) नियमावली 2025 को कैबिनेट में मंज़ूरी दी गई.
माननीय मुख्यमंत्री जी, मंत्री दीपक बिरुवा दा और समस्त मंत्रिमंडल का आभार.@JLKMJHARKHAND @deepakbiruajmm @HemantSorenJMM pic.twitter.com/n6jLfnHFSv
आयोग के कार्य एवं दायित्व
- विस्थापित व्यक्तियों एवं परिवारों का सामाजिक एवं आर्थिक अध्ययन
- सामाजिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों एवं समुदायों की पहचान
- पुनर्वास हेतु सुझाव देना
- सरकारी संस्थाओं को आँकड़े उपलब्ध कराना
- पुनर्वास योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा
आयोग की संरचना
अध्यक्ष: सामुदायिक विकास कार्यक्रमों और विस्थापन एवं पुनर्वास के क्षेत्र में 10 वर्षों का कार्य अनुभव रखने वाला व्यक्ति
सदस्य: प्रशासनिक सेवा का सेवानिवृत्त अधिकारी, जो संयुक्त सचिव स्तर से नीचे का न हो
सदस्य: जिला न्यायाधीश स्तर का विधि विशेषज्ञ
अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से तीन सदस्य
संबंधित क्षेत्र के उपायुक्त, जिला परिषद अध्यक्ष, संबंधित प्रखंड के प्रखंड अध्यक्ष और पारंपरिक ग्राम प्रधान
आयोग के लिए अनुदान
सरकार समय-समय पर आयोग को अनुदान के रूप में धनराशि उपलब्ध कराएगी, ताकि आयोग अपने कार्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सके. आपको बता दें कि राज्य में एनएचएआई, एनटीपीसी, गेल, सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल जैसी कंपनियों की परियोजनाओं के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. इसके अलावा विभिन्न बांधों और सिंचाई परियोजनाओं के कारण भी बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं.
Recent Comments