धनबाद (DHANBAD) : चुनाव प्रस्तावित है बिहार में, लेकिन इसकी चर्चा झारखंड में भी कम नहीं है. इसके कई कारण हो सकते है. यह भी कहा जाता है कि बिहार से कटकर ही झारखंड अलग हुआ है. इसलिए बिहार और झारखंड अभी एक तरह से जुड़ा हुआ है. लेकिन बड़ा मामला यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की गतिविधियों से बिहार में महागठबंधन का सबसे बड़ा दल राजद तनाव में है. झारखंड मुक्ति मोर्चा चाहता है कि इस बार विधानसभा के चुनाव में उसे कम से कम एक दर्जन सीटें मिले. यह सब सीट झारखंड के सीमावर्ती इलाके की है. जिन सीटों पर झामुमो चुनाव लड़ना चाहता है, उनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, बांका, पीरपैंती, रामपुर, ठाकुरगंज, रुपौली, बनमनखी, जमालपुर, झाझा और चकाई शामिल है. फिलहाल महागठबंधन में अभी तो सीएम फेस को लेकर ही किच-किच चल रही है.
सीटों के बंटवारे को लेकर शह-मात का खेल भी शुरू हो गया है
सीटों के बंटवारे को लेकर शह-मात का खेल भी शुरू हो गया है. कांग्रेस पिछली बार से अधिक सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है. वह यह भी कहते नहीं थक रही कि चुनाव के बाद सीएम पर निर्णय होगा. बता दें कि राजद झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा का पुराना सहयोगी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अब इसी की दुहाई देकर चुनाव में अपनी भागीदारी बिहार में चाहता है. यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा 1980 के चुनाव से ही चुनावी राजनीति में दांव आजमाना शुरू किया था. झारखंड गठन से पहले भी दक्षिण बिहार की कई सीटें उसके हिस्से में हुआ करती थी. विभाजन के बाद चकाई सीट पर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा को सफलता मिली थी, लेकिन यह सफलता आगे बरकरार नहीं रही.
2019 में झारखंड में राजद को सात सीट मिली थी, एक पर हुई थी विजय
2019 में झारखंड में राजद को 7 सीट मिली थी. एकमात्र चतरा से सत्यानंद भोक्ता चुनाव जीते थे. 2024 में भी राजद को झारखंड में 7 सीट मिली. इस बार वह चार में सफल रहा. झारखंड सरकार में संजय यादव के रूप में राजद की हिस्सेदारी है. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा इसी को आधार बनाकर बिहार के कम से कम एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखता है और इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए गए है. इधर, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले बिहार में सरगर्मी तेज हो गई है. सभी दल अपने-अपने वोट बैंक को एकजुट करने के लिए कार्यक्रम कर रहे हैं, तो महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर भी रार जारी है. बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. राजद के नेता अब तक कह चुके हैं कि बिहार में महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे.
महागठबंधन की बैठक में तेजस्वी यादव को को-आर्डिनेशन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है
अभी कुछ दिन पहले पटना में महागठबंधन की बैठक में तेजस्वी यादव को को-आर्डिनेशन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस के लोग भी यही कहते रहे हैं कि सीएम पर चुनाव के बाद निर्णय लिया जाएगा. इधर, बिहार के चुनाव के पहले सीएम के चेहरे को लेकर पटना में एक पोस्टर टंगा दिख रहा है. इस पोस्टर में कांग्रेस नेता संजीव कुमार सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की गई है. महागठबंधन में सीएम का चेहरा कौन होगा, यह अभी तक साफ नहीं है. लेकिन इस पर सियासत तेज दिख रही है. राजधानी पटना में संजीव कुमार सिंह को कांग्रेस का बड़ा नेता बता बिहार का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की गई है. इधर, बिहार में चुनाव को देखते हुए सभी दल लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश शुरू कर दी है. राजद की ओर से रविवार को श्री कृष्ण स्मारक भवन सभागार में ताड़ी व्यवसाय महाजुटान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भाजपा की ओर से दलित पंचायत की तैयारी है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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