धनबाद(DHANBAD):  सूत्रों पर भरोसा करें तो  झारखंड में संचालित कोल इंडिया की सहायक कंपनियों  के पास बरसात के मौसम में उत्पादन घटने के बाद भी स्टॉक बढ़ रहा है.  रोड सेल में कमी आई है.  झारखंड में बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल  की कोलियारियां काम करती है.  दरअसल अवैध उत्खनन से निकला कोयला सिर्फ झारखंड के कोयला आधारित उद्योगों तक ही नहीं ,बल्कि बाहर के प्रदेश की मंडियों  तक बेधड़क पहुंच रहा है. धनबाद  कोयलांचल  में तो यह देखा गया है कि साफ -सुथरा ढंग से हार्ड कोक  भट्ठा चलाने वालों ने खुद को समेट लिया है. 

साफ़ -सुथरा तरीके से कारोबार करने वालो को है परेशानी 
 
उनका कहना है कि जीवन भर उन्होंने एक नंबर का काम किया है, लेकिन अब जमाना दो नंबर का आ गया है. दूसरी ओर  चोरी और तस्करी के कोयला से प्लांट चलाने वाले बम- बम है.  कोयला कंपनी  की , जो निर्धारित दर है, उससे कम रेट पर उन्हें कोयला मिल जा रहा है.  ई - ऑप्शन से भी कोयले की मांग में गिरावट हो रही है.  कोयला उठाव  में भी विवाद हो रहा है. चोरी के कोयले में ऐसा कोई विवाद नहीं होता.  रंगदारी की वजह से बीसीसीएल की  कई कोलियरियों  में विवाद चल रहा है.  बीसीसीएल की गोपालीचक  कोलियरी  का उदाहरण अभी सामने है.  आरोप लगाया गया था कि आवंटित कोयला उठने नहीं दिया जा रहा है. 

संगठित गिरोह काट रहे चांदी ,धनबाद से लेकर बहार तक बोलबाला 
 
दरअसल, अवैध उत्खनन के काम में संगठित गिरोह सक्रिय है और उन  गिरोह की ताकत इतनी अधिक है कि उनका कोयला बेधड़क राज्य के बाहर के मंडियों  तक पहुंच जा रहा है.  लोकल चुनिंदे हार्ड  कोक भट्ठे तो  ले ही रहे हैं, कोयला कंपनियों का उत्पादन का कितना बड़ा हिस्सा चोरी में चला जाता है, इसका कभी सर्वेक्षण नहीं कराया गया.  नतीजा है कि कोयला चोरी का धंधा, मंदा होने के बजाय और बढ़ता ही गया.  जुलाई महीने में कोयला उत्पादन एवं डिस्पैच में गिरावट दर्ज की गई है.  इस वजह से कोयला बहुल राज्यों के राजस्व में भी कमी आई है.  जुलाई महीने के रिपोर्ट के अनुसार रॉयल्टी में 1.73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है.  वहीं डीएमएफटी में 4.62 प्रतिशत की गिरावट हुई है.  जुलाई 25 में 1,253.51करोड़  कोल इंडिया की ओर से भुगतान किया गया है.  वहीं पिछले साल जुलाई महीने में यह रकम 1,258,66 करोड रुपए थी. 

उत्पादन और डिस्पैच में भी गिरावट दर्ज होने से बढ़ रही परेशानी 
 
उत्पादन और डिस्पैच में भी गिरावट दर्ज की गई है.  जुलाई 2025 का परफॉर्मेंस निराशाजनक रहा.  कोल इंडिया जुलाई में उत्पादन लक्ष्य 59.49 मिलियन टन  के मुकाबले 46.44 मिलियन टन ही उत्पादन किया.  डिस्पैच का लक्ष्य भी 69.74 मिलियन टन था, लेकिन डिस्पैच 54.25 मिलियन टन  हुआ है.  यह भी कहा जा रहा है कि कोयले की डिमांड भी घट गई है . कई  लोकल उद्योग अब कोयला कंपनियों से कोयले के लिए चिरौरी  करने के बजाय चोरी के कोयले पर ज्यादा भरोसा कर रहे है.  कोयला कंपनियों को मार्केट तलाशना भी अब कठिन हो रहा है.  देखना होगा कि कोयले की चोरी पर   पाबंदी के लिए अब भी कोई कदम उठाये जाते है ,या सबकुछ पहले की तरह ही चलता रहता है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो