रांची(RANCHI): झारखण्ड में उप चुनाव का बिगुल बजने वाला है. इससे पहले ही घाटशिला विधानसभा में विसात बिछनी शुरू हो गई. सभी दावेदार अपने दावों को लेकर फिर से जनता के बीच पहुंचना शुरू कर चुके है. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाइ सोरेन इस सीट पर खुद बैटिंग करते दिखेंगे. इसकी चर्चा भी तेज हो गई तो सामने दिवंगत शिक्षा मंत्री के बेटे सोमेश से सामना होगा. मुकाबला कड़ा होने वाला है. यह सभी दल को मालूम है. तभी तो अंदर खाने तैयारी अभी से ही शुरू हो गई. अब सवाल है कि भाजपा और झामुमो में कैसा मुकाबला होगा. क्या भाजपा बाबूलाल सोरेन पर ही दाव खेलेगी और चंपाइ के बैटिंग करने की क्या कहानी है.
तो चलिए पूरी कहानी साफ़ साफ़ बताते है घाट शिला उप चुनाव में जहा एक ओर चुनाव आयोग अपनी तैयारी में जुटा है तो वहीं राजनितिक दल भी दो हाथ आगे चल रहे है.अपनी अपनी तैयारी शुरू कर दिया है.लेकिन इसमें सबसे पहले पूर्व मुखयमंत्री चंपाइ सोरेन बैटिंग करने को पिच पर उतर चुके है.भले ही अभी भाजपा का कोई झंडा लेकर कार्यकर्ता सड़क पर नहीं है लेकिन चम्पाई सोरेन पूरी तरह से कमर कस चुके है.अब बस इंतजार चुनाव के घोषणा का है,
यह बात इस लिए चर्चा में है कि चम्पाई ही बैटिंग करेंगे. क्योकि एक दिन पहले पूर्व मुखयमंत्री चम्पाई सोरेन ने एक पोस्ट सोशल मीडिया में किया. जिसमें आगे वह है उनके पीछे बाबूलाल सोरेन खड़े है. इसमें चम्पाई सोरेन ने लिखा जोहार घाटशिला....बस इस पोस्ट के बाद से ही चर्चा और माहौल दोनों गर्म हो गया है. इस बार इस सीट को जीतने में चम्पाई सोरेन जी जान लगाने वाले है.
अगर पिछले चुनाव को देखे तो यहाँ भाजपा और झामुमो में सीधा टक्कर रहा. लेकिन 22 हजार वोट से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. इस समय कई तरह की परिस्थिति थी.जिसमें चम्पाई सोरेन इस सीट को फोकस नहीं कर पाए थे उन्हें झारखण्ड के कई आदिवासी सीट की जिम्मेवारी मिली हुई थी.लेकिन इस बार उप चुनाव में पूरी ताकत इसी घाटशिला सीट पर है.यही वजह है कि चम्पाई सोरेन अभी से ही मैदान में उतर गए है.
अगर देखे तो चम्पाई सोरेन के संघर्ष की कई कहानी भी इस इलाके में है.झारखण्ड आंदोलन से लेकर कई बड़े आंदोलन का आगाज इस धरती से कर चुके है.इस सीट पर भाजपा के साथ साथ चम्पाई का भी प्रभाव है तो साफ़ है कि लड़ाई में ताकत पूरी झोकते हुए चम्पाई सोरेन दिखेंगे जिससे बाबूलाल की नइया इस बार पार हो जाये,हलाकि घाटशिला का इतिहास कुछ अलग है.
राज्य गठन के बाद इस सीट पर सिर्फ एक बार 2014 का चुनाव ही भाजपा जीत सकी है.बाकी झामुमो तीन बार चुनाव में जीत हाशिल किया है तो वहीं कांग्रेस ने दो बार बाजी मारी है.लेकिन गौर करने वाली बात है कि हार के बावजूद भी भाजपा ज्यादा पिछड़ी नहीं है दूसरे स्थान पर बरक़रार रही.यही वजह है कि चम्पाई सोरेन इसे समझ रहे है और खुद चुनावी अखाड़े में कूद गए है जिससे माहौल को अपने पक्ष में खींच सके और चुनाव में फिर एक बार भाजपा का झंडा बुलंद कर बाबूलाल को विधानसभा तक भेज दे.
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