धनबाद (DHANBAD) : कतरास में भू धंसान और आउटसोर्सिंग कंपनी की सर्विस वैन गिरने की बड़ी घटना को कोयले के अवैध उत्खनन से जोड़कर देखा जा रहा है. अब तो यह मांग उठ गई है कि सीआईएसएफ को हटाओ- बीसीसीएल को बचाओ, देश की संपत्ति को लूटने से बचाया जाए. पूर्व बियाडा अध्यक्ष और समाजसेवी विजय कुमार झा ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर कहा है कि 5 सितम्बर को घटना के दिन घटनास्थल पर कोयला से भरी काफी मात्रा में बोरियां देखी गई थी और दूसरे दिन सभी बोरियां घटनास्थल से गायब हो गई.
रातों-रात कैसे गायब हो गई कोयला लदी बोरियां
सवाल किया है कि रातों-रात सभी बोरियों को किसने गायब कर दिया और इस काम में किस-किस का सहयोग था? ट्रक कैसे आया, सभी बोरियों को लोड किसने किया और ट्रक कहां गया? कोयला किसके यहां उतरा, जांच हो तो सीआईएसएफ की भूमिका उजागर हो जाएगी. रक्षक ही जब भक्षक बन जाए, तो संस्था को इनकी क्या जरूरत है? टाटा की कोलियरियों में एक भी सीआईएसएफ नहीं है, लेकिन कोयले का एक ढेला चोरी नहीं होता है. लेकिन बीसीसीएल की कोलियारियों से अवैध उत्खनन के जरिए कोयले की खुलेआम चोरी होती है. सवाल यह भी उठाया है कि अगर घटना के दिन कोयला लदी बोरियां वहां देखी गई , तो निश्चित रूप से अगल-बगल के इलाकों में अवैध उत्खनन से कोयला निकाला जाता होगा.
कोयला चोरी रोकने का बेवजह ढिंढोरा पीटा जाता है
The Newspost से बात करते हुए विजय झा ने कहा कि कोयला चोरी रोकने का बेवजह ढिंढोरा पीटा जाता है. दरअसल, कोयला चोरी रोकना कोई "रॉकेट साइंस" नहीं है. यह बहुत आसान काम है, लेकिन इच्छा शक्ति हो तब ना. उन्होंने कार्यालय और घर बैठे कोयला चोरी रोकने के कई सुझाव भी दिए है. उन्होंने कहा है कि बीसीसीएल में 12 एरिया है. किस जगह पर किस ढंग से अवैध उत्खनन किया जा रहा है, यह जानने के लिए दफ्तर में बैठकर भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है. अगर बीसीसीएल अपने सभी 12 एरिया में ड्रोन कैमरे से निगरानी की व्यवस्था कर दे, तो पता चल जाएगा कि कहां किस ढंग से अवैध उत्खनन हो रहा है. फिर क्या है- जब खनन के बाद चोरी का कोयला बोरियों में भरकर कोयला चोर और तस्कर ले जाने की तैयारी कर रहे होंगे, तब सीआईएसएफ की टीम वाहनों के साथ जाए और कोयले को अपने कब्जे में ले ले. ऐसा अगर लगातार 15 दिन किया जाए, तो कोयला चोरों की कमर टूट जाएगी. इसलिए टूट जाएगी कि अवैध उत्खनन करने वाले मजदूरों को तो कोयला तस्करों को भुगतान करना पड़ता है.
लगातार 15 दिन की कार्रवाई से बंद हो सकती है कोयला चोरी
लगातार 15 दिन की कार्रवाई के बाद इतनी बड़ी आर्थिक चोट उन्हें मिलेगी कि वह काम छोड़ देंगे. इसके लिए टीम को भी इलाके -इलाके घूमने की जरूरत नहीं होगी. अगर बीसीसीएल और प्रशासन यह भी करना नहीं चाहे, तो चोरी के कोयले को ट्रक और हाईवे में लोड होने दे, फिर उसकी रेकी करें और यह देखे कि चोरी का कोयला अनलोड कहां होता है. फिर कोयला खरीदने वाले को मामले में एक्यूज्ड बनाया जाए. दो -चार- पांच मुकदमे होने के बाद कोयला लेने वाले भी हाथ उठा देंगे. फिर तो कोयला तस्कर भी काम करना छोड़ देंगे. विजय झा ने यह भी कहां है कि सड़क पर जिस वाहन में जीपीएस नहीं लगा हो, उसे पुलिस जब्त कर ले. अगर वाहन में जीपीएस बंद भी मिले तो उसकी जब्ती की जाए. निश्चित रूप से अगर वाहन में जीपीएस बंद है ,तो यह चोरी का कोयला हो सकता है.
बहुत बड़ा सवाल -टाटा की कोलियरियों से क्यों नहीं होती कोयला चोरी
सबसे बड़ा सवाल उन्होंने उठाया है कि जिस जगह पर कतरास में इतनी बड़ी घटना हुई है ,उससे मात्र दो किलोमीटर के एरियर डिस्टेंस पर टाटा -मलकेरा कोलियरी है. वहां सीआईएसएफ की प्रति नियुक्ति नहीं है. प्राइवेट गार्ड हैं, फिर भी एक ढेला भी कोयला चोरी नहीं होता है. किसी भी कोयला चोर अथवा तस्कर की हिम्मत नहीं होती है कि वहां से अवैध उत्खनन या कोयले की चोरी कर ले. उन्होंने कहा है कि बाघमारा,कतरास , झरिया सहित धनबाद कोयलांचल में 100 साल पहले कोयले का खनन शुरू हुआ था. कई जगह कोलियारियों को बंद कर दिया गया. उस जगह पर कोयला चोरों को मुहाना खोलने में आसानी होती है. लेकिन अगर बीसीसीएल मैनेजमेंट सचमुच राष्ट्रीय संपत्ति की चोरी रोकना चाहता है तो वह सरल सा दो-तीन उपाय कर ले, तो कोयला चोरी खुद ब खुद बंद हो जाएगी. लेकिन इसके लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा है कि कतरास शहर केवल पिलर पर टिका है. भीतर से कोयला निकाल लिया गया है, लेकिन अब उन पिलरों की भी अवैध उत्खनन के जरिए कटाई हो रही है. ऐसे में शहर कब धंस जाए, बैठ जाए, यह कोई नहीं जानता.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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