रांची(RANCHI): आज रथ यात्रा और मेले की शुरुआत हो रही है. ऐसे में शाम करीबन 5 बजे भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ से मौसीबाड़ी में माता गुंडिचा के घर जाएंगे. यहाँ भगवान जगन्नाथ 9 दिनों तक रहेंगे और मौसीबड़ी में भगवान को मालपूए का विशेष भोग भी लगाया जाएगा.
किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ :
भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना तो विशेष है ही पर रथ यात्रा के दिन रथ खींचने का भी काफी महत्व है और रांची में आयोजित रथ यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में लोग रथ खींचतें है. ऐसे में विशेष महत्व रखने वाले रथ का निर्माण नीम की लकड़ी से किया जाता है. ऐसे में रथ बनाने के लिए उन पेड़ों को चुना जाता है जिनपर चक्र, शंख, या पद चिन्ह का निशान नहीं होता. साथ ही वैसे पेड़ जिनके नीचे सांप के बिल, पक्षियों के घोंसले नहीं होते, रथ बनाने के लिए वैसे पेड़ों का चुनाव नहीं होता. इसके साथ ही रथ बनाने के लिए फासी, धौरा, सहजा, और मही लड़कियों का इस्तेमाल भी किया जाता है. इनके अलावा भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथ खींचने के पीछे काफी दिव्य मान्यता है. लोगों का मानना है की भगवान के रथ को खींचने से भगवान प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इस बार मेले में कौन से झूले हैं खास ?
ऐसे में 9 दिनों तक भगवान की पूजा अर्चना के साथ ही राजधानी रांची में भव्य मेले का भी आयोजन होता है जिसके तहत लाखों लोग न सिर्फ झारखंड बल्कि आस-पास के राज्यों से भी आते हैं. ऐसे में मेले में दुकानों के साथ ही मुख्य आकर्षण झूले भी लगता है. मेले में हमेशा की तरह बच्चों के झूलों में सबसे आकर्षक राम झूला और इसी के साथ बड़ों के लिए जाइन्ट वील, टोरा-टोरा, ड्रैगन ट्रेन, फिशबी, ब्रेक डांस और बड़ा नाव जैसे मजेदार झूले लगाए गए हैं. झूलों के साथ मेले में नागिन का खेल और मौत का कुआ भी मुख्य आकर्षण का केंद्र है.
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