TNP DESK- बिहार चुनाव के साथ ही झारखंड के घाटशिला का उपचुनाव   होने के कयास  लगाए जा रहे है.  बिहार में तो 10 अक्टूबर के पहले चुनाव की तिथि की घोषणा हो जाएगी, इसके साथ ही हो सकता है कि घाटशिला उपचुनाव की तिथि भी घोषित हो जाए.  लेकिन घाटशिला उपचुनाव   में उम्मीदवारी को लेकर शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई  सोरेन की सांस अटका दी है. 

क्यों हो गई है चर्चा तेज ,क्या हो सकता है असर 

 धनबाद के एक नेता की बातों पर भरोसा करें तो सीता सोरेन  की बेटी जयश्री के भी घाटशिला उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है.  इस वजह से लेकर चंपाई  सोरेन भी परेशान है.  यह अलग बात है कि दोनों अलग-अलग समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा से ही  भाजपा में आए है. 

सीता सोरेन लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ज्वाइन की थी
 
सीता सोरेन लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ज्वाइन की थी, तो चंपई सोरेन विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हुए थे.  यह  अलग बात है कि यह उपचुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा.  2000 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में आरक्षित 28 आदिवासी सीटों में से 14 सीटों पर भाजपा का कब्जा था.  लेकिन फिलहाल सिर्फ एक सीट  उसके पास रह गई है. 

आदिवासी आरक्षित सीटों में से एक ही भाजपा के पास है 

 झामुमो  में से भाजपा में आए चंपई सोरेन सरायकेला सीट  जीत पाए है.  चंपाई  सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को भाजपा ने घाटशिला से 2024 में उम्मीदवार बनाया था.  लेकिन वह झामुमो  के रामदास सोरेन से चुनाव हार गए थे.  वैसे तो 2024 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी आरक्षित सीटों में से झामुमो ने 20 और कांग्रेस ने 7 सीट  जीतकर सबको हैरानी में डाल दी थी.  घाटशिला उपचुनाव  में अगर  बीजेपी वापसी करती है तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है.  

झामुमो भी कर रहा है प्रतीक्षा ,जानिए क्या है वजह 

यह  अलग बात है कि चंपाई  सोरेन के पुत्र की दावेदारी अभी खत्म नहीं हुई है.  लेकिन झामुमो भी इंतजार कर रहा है, अगर भाजपा बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार बनाती है, तो झामुमो   रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को उम्मीदवार घोषित कर सकता है.  यह अलग बात है कि और कुछ नाम की चर्चा है, लेकिन हाल के दिनों में सीता सोरेन की बेटी की नाम की भी चर्चा चल रही है. 

इस प्रयोग से भी बचता दिख रहा झामुमो 
 
अगर सीता सोरेन की बेटी जयश्री घाटशिला उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार होती है, तो हो सकता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा स्वर्गीय रामदास सोरेन की पत्नी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दे , और शायद यही वजह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव से पहले मंत्री बनाने  के प्रयोग से फिलहाल बच रहा है.  बता दें कि हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद मधुपुर से उनके बेटे हफीजुल हसन को चुनाव से पहले मंत्री बनाया गया था.  टाइगर जगरनाथ  महतो के निधन के बाद डुमरी से उनकी पत्नी बेबी देवी को चुनाव के पहले ही मंत्री बना दिया गया था.  लेकिन घाटशिला उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा इस प्रयोग से बच रहा  है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो