धनबाद (DHANBAD) : झारखंड का घाटशिला उपचुनाव  को लेकर सक्रियता तेज होने लगी है. उपचुनाव में बहुत अधिक वक्त नहीं है. राजनीतिक दल भी इस उपचुनाव को लेकर सक्रिय है. इस बीच यह उपचुनाव पार्टी उम्मीदवारों को लेकर कई तरह का संदेह भी पैदा कर रहा है. कुछ के घर वापसी के संकेत मिल रहे हैं, तो कुछ के पाला बदलने के भी संकेत दिख रहे है. इस सीट पर भाजपा और झामुमो का मुकाबला होता है.  इस वजह से अब इस बात का आकलन शुरू हो गया है कि किस दल से कौन उम्मीदवार होगा? अचानक कुछ ऐसी गतिविधियां बढ़ी है, जो पहेली  बनकर उभरी है. 

कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन का राजनीतिक भविष्य होगा तय 
 
भाजपा फिर कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को ही उम्मीदवार बनाएगी या कैंडिडेट बदलेगी, इसकी भी चर्चा होनी शुरू हो गई है. झामुमो की ओर से तो लगभग साफ है कि दिवंगत रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को टिकट मिलेगा. भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा की सक्रियता के बीच कांग्रेस के बड़े नेता प्रदीप बालमुचू भी अचानक क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं और यह सक्रियता कई संदेहों  को जन्म देता है. लोग बताते हैं कि 1995 से लेकर 2004 तक वह लगातार घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे. आज भी क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ बताई जाती है. कहा जाता है कि प्रदीप बालमुचू जिसकी पीठ पर हाथ रख देंगे उसकी जीत लगभग तय है. 

2024 के विधानसभा  चुनाव में गठबंधन में हुआ था विवाद 
 
सूत्र बताते हैं कि 2024 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद झामुमो पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगे थे. और इसे बालमुचू नाराज हो गए थे. इसके बाद तो घाटशिला से लेकर रांची तक चर्चा तेज हो गई. मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा, तो हेमंत सोरेन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए झामुमो  नेताओं के साथ उनकी बैठक कराई.  बैठक में तय हुआ कि  झामुमो  के लोग कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान देंगे.  बैठक के बाद झामुमो  प्रत्याशी रामदास सोरेन और कांग्रेस के प्रदीप कुमार बालमुचू की संयुक्त  प्रेस वार्ता भी हुई थी. ताकि जनता में यह संदेश जाए कि  महागठबंधन के नेता एक है.  

झामुमो की सीट है घाटशिला, खूब होगी राजनीतिक लड़ाई 

यह अलग बात है कि घाटशिला झामुमो  का सीट है.  ऐसे में कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी यहां पार्टी के टिकट पर खड़ा नहीं हो सकता है, लेकिन बालमुचू  की सक्रियता कई सवालों को भी जन्म देती है.  तरह-तरह के कयास  लगाए जा रहे है.  घाटशिला विधानसभा सीट भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण है, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है.  2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद निश्चित रूप से भाजपा चाहेगी कि घाटशिला उपचुनाव  में जीत कर एक बार फिर नए ढंग से काम की शुरुआत हो.  ऐसे में यह सवाल बड़ा हो गया है कि भाजपा क्या बाबूलाल सोरेन पर ही दांव  लगाएगी या उम्मीदवार बदलेगी?

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो