धनबाद(DHANBAD): अभी-अभी वर्ल्ड डायबिटीज डे बीता  है.  उस  दिन स्वास्थ्य को लेकर बहुत सारी बातें की गई.  डॉक्टरो  ने खान-पान पर नियंत्रण , परहेजी जीवन  के सुझाव दिए.  डायबिटीज क्यों खतरनाक है, यह भी बताया गया.  फास्ट फूड के उपयोग पर  रोक के भी सुझाव दिए गए.  लेकिन कम से कम अगर हम कोयलांचल  की बातें करें, तो फास्ट फूड की स्थाई अथवा अस्थाई दुकानें अब केवल शहरो  को ही अपने कब्जे में नहीं ले लिया है, बल्कि ग्रामीण इलाकों को भी अपने प्रभाव के   लपेटे में ले रखा है.  हर गली, चौक -चौराहे पर ठेला आपको दिख जाएंगे.  सिर्फ ठेले ही नहीं, बल्कि ठेले के सामने भीड़ भी दिख जाएगी.  कोयलांचल  के जिस भी इलाके में चौपाटी लगती है, वहां लोगों की भीड़ जुटती है.  

सॉस और केचप डुप्लीकेट है कि ओरिजिनल ,कोई पता नहीं करता 

लेकिन कभी किसी ने इस बात की जांच -पड़ताल अथवा पता करने की कोशिश नहीं की होगी कि फास्ट फूड में जो आपको सॉस और केचप मिल रहा है, वह कितना शुद्ध है?  क्या अपने यह  जानने का कभी प्रयास किया ,नहीं किया होगा.  पता नहीं किया होगा कि किस  गुणवत्ता सॉस और केचप दुकानदार आपको दे रहा है.  इसकी जांच ना तो खाद्य सुरक्षा विभाग कभी करता है और ना नहीं इस और किसी का ध्यान है. जबकि  खराब क्वालिटी के सॉस और केचप आपको बड़ा  नुकसान पंहुचा  सकता है.  आप असाध्य  रोग से पीड़ित भी हो सकते है. 

खराब क्वालिटी के सॉस और केचप  से हो सकती है बीमारिया 

जानकार बताते है कि  खराब क्वालिटी के सॉस और केचप में हानिकारक रसायन, प्रिजर्वेटिव, ज़्यादा नमक और चीनी हो सकती है, जिससे मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी समस्याएं हो सकती है. असाध्य रोग भी हो सकता है.    बच्चों में यह हाई ब्लड प्रेशर और किडनी पर असर कर सकता है, और कुछ लोगों में एलर्जी भी पैदा कर सकता है.  खराब क्वालिटी के सॉस/केचप के नुकसान:मोटापा: इनमें ज़्यादा चीनी और फैट होने के कारण वजन बढ़ सकता है. डायबिटीज: हाई शुगर कंटेंट ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. 

हाई ब्लड प्रेशर सहित अन्य बीमारियों का भी हो सकता है खतरा 

हाई ब्लड प्रेशर: इनमें नमक की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग का कारण बन सकता है . हृदय रोग: ज़्यादा नमक और खराब कोलेस्ट्रॉल हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते है. किडनी पर असर: बच्चों में किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, क्योंकि उनकी नमक को प्रोसेस करने की क्षमता कम होती है. एलर्जी: कुछ लोगों को केचप में मौजूद हिस्टामाइन जैसे रसायनों से एलर्जी हो सकती है. लिवर की समस्या: ज़्यादा फैटी और अस्वास्थ्यकर चीजें खाने से फैटी लिवर हो सकता है.  धनबाद में जांच पड़ताल के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग है. 

धनबाद में 2006 से नगर निगम काम  कर रहा है लेकिन -----

 धनबाद में 2006 से नगर निगम काम  कर रहा है, लेकिन आपने कभी सुना नहीं होगा कि नगर निगम ने कभी ठेले -खोमचे   वालों के सॉस और केचप  की जांच की हो.  कभी सैंपल लिया हो, जबकि यह  तो पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.  खाद्य सुरक्षा विभाग कभी कभार  बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों में सैंपल जरूर लेता है, लेकिन ठेले -खोंमचे  वालों की क्वालिटी की कभी जांच नहीं होती.  जबकि ठेला -खोमचे   वालों के उपभोक्ता बड़े प्रतिष्ठानों से कहीं अधिक है. 

ठेला -खोमचा वालो की बिक्री बहुत अधिक है ,इसलिए भी जाँच भी जरुरी 

 धनबाद की आर्थिक सेहत भी उतनी मजबूत नहीं है कि लोग बड़ी-बड़ी दुकानों में जाकर फास्ट फूड ग्रहण कर सके.  वैसे भी बड़े शहरों की तर्ज पर धनबाद में फास्ट फूड का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है.  यही वजह है कि शहर से लेकर गांव तक इस प्रचलन का कब्जा हो गया है.  नगर निगम में तो फ़ूड  इंस्पेक्टर की नियुक्ति हुई है लेकिन आपने सुनी नहीं होगी कि 2006 के बाद से कभी नगर निगम जांच पड़ताल की हो.  लोग बताते हैं कि नगर निगम के फूड इंस्पेक्टर अतिक्रमण हटाओ अभियान के अधिकारी बन गए है.  धनबाद में पूरी  स्वास्थ्य व्यवस्था काम करती है.  लेकिन लोगों को कैसे गुणवत्ता पूर्ण खाद्य सामग्री मिले, इसकी कोई रूपरेखा तैयार नहीं की गई है. उस ढंग से एक्शन भी नहीं लिया जाता.  नतीजा है कि जिसे जो मन में आता है, करता है.  

धनबाद में जाँच प्रयोगशाला का नहीं होना भी अश्चार्यजनक 

यह बात भी सच है कि  जांच के लिए धनबाद में कोई लैबोरेट्री नहीं है.  अगर कभी कभार  जांच के लिए सैंपल लिए भी जाते हैं, तो उसे रांची के नामकुम  भेजा जाता है.  रिपोर्ट आने में महीनो  बीत जाते है.    लोगों को गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना सरकार की बड़ी जिम्मेवारी है.  यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर किसी के घर में कोई असाध्य रोग से ग्रसित हो जाए, तो उसे घर का सुख चैन खत्म हो जाता है.  जरूरत है कि धनबाद के लोगों को गुणवत्ता पूर्ण खाद्य सामग्री कैसे उपलब्ध हो, इस पर ध्यान दिया जाए.  प्रशासनिक अधिकारियों पर भी दबाव बनाने की जरूरत है कि जांच पड़ताल आगे बढ़े और "जहर" के रूप में सॉस और केचप के प्रयोग पर पाबंदी लगे. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो