धनबाद (DHANBAD): पढ़े- लिखे आर्थिक रूप से संपन्न बुजुर्ग भी अब ऐसा कदम उठाने लगे है. यह समाज को झकझोरने वाली बात है. उन बेटा -बेटियों के लिए भी सवाल है कि बुजुर्ग को अकेले छोड़ अगर वह अपने करियर पर अधिक ध्यान देंगे, तो बुजुर्गों से हाथ धोना पड़ सकता है. अकेलापन की वजह से बुजुर्ग अवसाद में चले जा रहे हैं और फिर जो नहीं करना चाहिए, वैसा कदम उठा ले रहे है. धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल से रिटायर्ड जाने-माने सर्जन डॉक्टर एमपी झा की पत्नी ने जो कदम उठाया है, उससे समाज की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है. डॉक्टर एमपी झा की पत्नी सुनीता झा ने रविवार को फांसी पर लटक कर जान दे दी. वजह सिर्फ यही थी कि उन्हें चिंता इस बात की थी कि और अधिक उम्र बढ़ने पर वह किसी पर बोझ बन जाएगी.
डॉक्टर पति मॉर्निंग वाक पर गए थे और पत्नी ने कर ली आत्महत्या
इस वजह से वह अवसाद में चल रही थी. रविवार की सुबह वह घर में अकेली थी. पति मॉर्निंग वाक को गए थे. जब लौटे तो देखा उनकी पत्नी सुनीता झा पूजा घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी है. वह पूजा पाठ बहुत अधिक करती थी. डॉक्टर नीलांचल कॉलोनी में पत्नी के साथ रहते थे. परिवार जनों के अनुसार सुनीता झा कई महीनो से अवसाद में थी. उनके दो बेटे हैं, एक बेटा और बहू डॉक्टर हैं, दोनों ऑस्ट्रेलिया में रहते है. जबकि छोटे बेटे बेंगलुरु में रहते है. उनके एक परिजन ने बताया कि चाचा -चाचा को किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. जीवन सुखमय था.
अवसाद की वजह से उनके मन में आ रहे थे गलत ख्याल
अकेले रहने की वजह से चाची परेशान रहती थी. उम्र और अधिक होने पर उन्हें ऐसा लगता था कि वह किसी पर बोझ बन जाएगी. इस संबंध में कुछ दिनों से वह लगातार बातचीत भी कर रही थी. पड़ोसियों ने बताया कि हाल के कुछ दिनों से उनसे लगातार कह रही थी कि अपने पति से पहले वह मरेगी. वह सुहागन मरना चाहती है. माना जा रहा है कि अवसाद की वजह से उन्हें तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे. मां की मौत की सूचना पर बेंगलुरु में रहने वाला पुत्र पहुंच गया है. ऑस्ट्रेलिया में रह रहे पुत्र और बहू भी रास्ते में है.
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