धनबाद (DHANBAD) : दिशोम  गुरु शिबू सोरेन पूरा जीवन समाज को नशे से दूर रहने की सीख देते रहे. जो शराब छोड़कर मुख्य धारा से जुड़े, वह आगे बढ़ गए. और जिन्हे शराब ने पकड़ रखी, वह पिछड़ गए. गुरुजी अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन नशे से दूर रहने की उनकी सीख आगे भी याद की जाती रहेगी. इधर झारखंड के चर्चित विधायक जयराम महतो ने भी उनकी राह पकड़ ली है. सोशल मीडिया एक पर एक पोस्ट कर उन्होंने लोगों से पूछा है कि आप लोग कितना समझदार है- कि पेट्रोल की टंकी में पेट्रोल डालते हैं, किरोसिन नहीं, लेकिन हमारा शरीर भी दूध और दही मांगता है, तो दारु काहे डाल रहे है. नशा से दूर रहे. यह अलग बात है कि जयराम महतो के अच्छे खासे फॉलोअर हैं और अगर उनकी जेहन में यह बात उतर गई, तो गांव, देहात- शहर के लोगों का बहुत भला होगा. राजस्व के लालच में सरकार शराबबंदी नहीं करती है. सरकार को भारी कर मिलता है. 

सरकारों को शराब से मिलता है भारी मात्रा में राजस्व 
 
घोटाले भी होते हैं, शराब की दुकानों पर शाम होते ही लंबी कतार लग जाती है. कम से कम, धनबाद की शराब दुकानों में फिलहाल यही स्थिति देखने को मिल रही है. गुरु जी कहते थे कि आदिवासियों के शिक्षा से दूर होने की एकमात्र वजह शराब है. और उन्होंने अपने जवानी के समय इसके खिलाफ खूब अभियान भी चलाया था. टुंडी के जंगलों में जब महाजनी के खिलाफ उनका आंदोलन चरम पर था, तो शराब पीने वालों को उन्होंने एक मन  लाठी (यानी 40 लाठी) की सजा मुकर्रर की थी. उस समय तो स्थिति यह थी कि शराब पिया कोई भी व्यक्ति गुरु जी का नाम सुनकर ही भाग खड़ा होता था. अगर शराब पीते कोई पकड़ा गया तो उसे एक मन  लाठी की सजा मिलती थी. इधर, बिहार में 2016 से शराबबंदी जरूर है, लेकिन सरकार शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने पर में सफल नहीं दिख रही है. दूसरे प्रदेशों से शराब बिहार पहुंचाई जा रही है. 

शराब तस्करी को लेकर बिहार में कई अपराधिक गैंग तैयार हो गए है
 
शराब तस्करी को लेकर बिहार में कई अपराधिक गैंग तैयार हो गए है. गांव-गांव में शराब बिक्री को लेकर मारपीट हो रही है. हत्याएं की जा रही है. बिहार के शराब माफिया का लिंक दूसरे प्रदेशों से जुड़ गया है. कभी कीमती कार से तो कभी टैंकर में भरकर शराब बिहार पहुंचाई जा रही है. यह बात सच है कि राजस्व की लालच में सरकार  तो शराबबंदी नहीं करेगी , लेकिन अगर झारखंड के जिन नेताओं का "वजन" है, अगर वह जागरूकता फैलाना शुरू कर दे, तो लोग शराब पीना छोड़ सकते है. यह  बात भी सच है कि झारखंड के जिलों में दूध, दही के काउंटर पर भीड़ नहीं जुटती  लेकिन शराब की दुकानों पर लंबी लाइन लगती है. 

शराब के धंधे में एक से एक माफिया तैयार हो गए है
 
शराब के धंधे में एक से एक माफिया तैयार हो गए है. यह माफिया झारखंड में भी हैं तो दूसरे राज्यों में भी है. इनका नेटवर्क इतना अधिक मजबूत है कि उसे तोड़ पाना सरकार के लिए भी कठिन दिख रहा है.  धनबाद में तो अभी हाल ही में एक रोचक मामला सामने आया था.  शराब दुकान की जब जांच हुई तो सेल्समैन ने कह दिया कि चूहे शराब पी गए है. हालांकि यह बात जांच में गलत साबित हुई. दरअसल, शराब के बिक्री में हेरा फेरी की गई थी और जब जांच में गर्दन फंसने की बारी आई, तो चूहों पर आरोप डाल दिया गया.  खैर, जो भी हो, गुरुजी ने अपना पूरा जीवन शराब नहीं पीने के लिए जागरूकता फैलाई, अब जयराम महतो भी उन्हीं की राह पकड़ लिए है. देखना है विधायक जयराम महतो की अपील का लोगों पर कितना असर होता है?

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो