धनबाद (DHANBAD) : कोयलांचल में "पेट की आग" और कोयले के ओवर बर्डेन "साइलेंट किलर" बने हुए है. पेट की आग बुझाने के लिए लोग अवैध कोयला खदानों में दबकर मरते रहे हैं, इधर ओवर बर्डेन से कोयला चुनने के क्रम में भी लगातार घटनाएं हो रही है. ओवर बर्डेन के पहाड़ को देखकर कोई भी आश्चर्य में पड़ जाएगा. कोयला मिश्रित पत्थरों का यह टिल्हा अब जानलेवा बन गए है. उन पहाड़ों से कोयला चुनने के लिए गरीब लोग जाते हैं और अपनी जान गंवा बैठते है. यह एक तरह से अवैध उत्खनन ही कहा जा सकता है. कोयला चुनकर पेट भरने वाले लोग कोयलांचल में कितने हैं, इसका कभी सर्वे नहीं हुआ है.
मलीन बस्तियों में रहने वालो की कोई नहीं लेता सुध
इस तरह पेट पालने वाले लोग बीसीसीएल की कोलियरियों के अगल-बगल मलीन बस्तियों में रहते है. चुनाव के समय नेता जरूर इनका समर्थन मांगने जाते हैं, भरोसा देते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कभी इन मलीन बस्तियों में जाते तक नहीं है. कोई बड़ी घटना हो जाने पर पहुंचते है और कुछ सहायता देकर अपने कर्तब्य का इति श्री मान लेते है. नतीजा होता है कि पेट की आग बुझाने के लिए उन्हें जान जोखिम में डालना पड़ता है. बीसीसीएल कुसुंडा क्षेत्र की ईस्ट बसुरिया कोलियरी में संचालित आउटसोर्सिंग पैच में रविवार की सुबह मलवा गिरने से एक की दबकर मौत हो गई, जबकि दो घायल हो गए. घटना के बाद वहां मौजूद लोगों ने सबको बाहर निकाला.
कोयला चुन रहे थे कि पहाड़ ढहना शुरू हो गया
बताया जाता है कि कोयला बेचकर जीवन यापन करने वाल उस इलाके के दर्जनों लोग रविवार को परियोजना में कोयला लाने गए थे. जानकारी के अनुसार वहां गए लोग आउटसोर्सिंग परियोजना में कोयला चुन रहे थे. तभी अचानक ऊपर से ओवर बर्डेन का मलवा गिर गया. बगल में कोयला चुन रहे लोगों ने उन लोगों को बाहर निकाला. यह बात सच है कि आउटसोर्सिंग परियोजनाओं से बड़ी संख्या में कोयला चुनने को जाते हैं और दुर्घटनाएं होती है. लगातार मांग उठती रही है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों को अपनी परियोजना के चारो बगल फेंसिंग कर देनी चाहिए. गार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन यह सब होता नहीं है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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