धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में कांग्रेस के लगभग 25 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए "पावर गेम" भी खेला जा रहा है. दुश्मन को भी दोस्त बना लिया गया है. चर्चे में धनबाद जिला अध्यक्ष की कुर्सी भी है. अन्य कई ज़िलों के अध्यक्ष की कुर्सी पर भी खतरा है. सूत्र बताते हैं कि धनबाद जिला कांग्रेस के कुछ बड़े नेता अब वर्तमान अध्यक्ष के सपोर्ट में आ गए है. यह अलग बात है कि अभी हाल ही में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी धनबाद आए थे. कतरास के खरखरी में उनका एक मुशायरा का कार्यक्रम था.
कार्यक्रम निजी था, लेकिन जिस व्यक्ति के आमंत्रण पर इमरान प्रतापगढ़ी कतरास के खरखरी आए थे, उस पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं का पुतला फूंकने का आरोप लगा था. इस वजह से सूत्र बताते हैं कि धनबाद जिला के कांग्रेस नेताओं ने उस कार्यक्रम से लगभग दूरी बना ली और धनबाद में इमरान प्रतापगढ़ी से मिलकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. हालांकि कांग्रेस सर्किल में इसकी खूब चर्चा हो रही है. यह भी कहा जा रहा है कि कुर्सी के लिए राजनीति में दुश्मन को भी दोस्त बना लिया जाता है. धनबाद में कुछ ऐसा ही सीन देखा जा रहा है.
देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड के जिलों में कितने कांग्रेस अध्यक्षों की कुर्सी बदलती है, कितनों की बची रहती है. दरअसल, झारखंड के प्रभारी के राजू के बनने के बाद से ही संगठन के कामों में परिवर्तन की झलक दिखने लगी है. झारखंड में कांग्रेस की खोई जमीन को कई स्तरों पर तलाशा जा रहा है. अब जिस तरीके से काम चल रहा है, उससे साफ लग रहा है कि अब केवल कुर्सी के लिए पदाधिकारी नहीं रहेंगे, उन्हें लोगों तक पहुंचना होगा, गांव-गांव तक जाना होगा, लोगों का भरोसा अर्जित करना होगा. जानकारी के अनुसार जिला अध्यक्षों के बदलाव के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस ने जिला वार 25 पर्यवेक्षक नियुक्त किए है. वहीं प्रदेश कांग्रेस ने सभी जिलों के लिए तीन-तीन पर्यवेक्षकों की कमेटी बनाई है. यह सभी मिलकर जिला अध्यक्ष के नाम की अनुशंसा करेंगे.
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के राजू ने झारखंड के मंत्री, विधायक, सांसद समेत वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है. संगठन सुधार 2025 में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया और संगठन की मजबूती पर विचार होगा. खैर, झारखंड के सभी जिलों के कांग्रेस अध्यक्ष को बदल दिया जाता है अथवा परफॉर्मेंस के आधार पर कुछ की कुर्सी बची रह सकती है. यह देखने वाली बात होगी. यह भी हो सकता है कि सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाए. वैसे, इस कार्रवाई से कांग्रेस के कई "पैराशूट" नेताओं की परेशानी बढ़ गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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