रांची(RANCHI): झारखंड में JPSC 7-10 परीक्षा पास कर डीएसपी का रैंक लाने वाले 39 अधिकारियों को सरकार भूल गई है. तभी तो सभी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद भी प्रशिक्षु डीएसपी का ही टैग लगा कर घूम रहे है. साथ ही पोस्टिंग का इंतजार कर रहे है. इस बीच पहले 139 पुलिस निरीक्षक को प्रोन्नति दी गई साथ ही पोस्टिंग भी मिली. इसके बाद फिर 64 पुलिस निरीक्षक को गुरुवार को प्रमोशन दिया गया. अब शायद इन्हे भी किसी अनुमंडल या अन्य जगहों पर पोस्टिंग दे दी जाएगी. लेकिन सवाल है कि आखिर जो तीन साल से पोस्टिंग का इंतजार कर रहा है उसे कब जगह मिलेगी.
अगर देखे तो सबसे रिकार्ड में सरकार ने JPSC 7-10 की परीक्षा पूरी कर ली थी. आयोग इसमें पूरी तरह से सक्रिय दिखा था. जब परीक्षा सम्पन्न हुई इसके बाद नियुक्ति पत्र खुद सीएम हेमंत सोरेन ने सभी को अपने हाथ से सौपा था. लग रहा था की अब तो सब बदल गया. झारखंड में अब देरी नहीं होती है. सभी सफल छात्र भी खुश थे. शायद यह भूल गए थे की सबसे कठिन परीक्षा तो पास कर लिया. लेकिन अभी सिस्टम से जंग लड़ना होगा. इसे कैसे पास करेंगे.
39 प्रशिक्षु डीएसपी हर दिन सवाल पूछते है कि आखिर पोस्टिंग कब मिलेगी. अगर नहीं मिलेगी तो फिर यह भी साफ कर देना चाहिए. इस मामले में कोई भी नाम उजागर नहीं करना चाहता है. लेकिन सवाल सभी 39 डीएसपी के मामले में है. फील्ड पोस्टिंग का इंतजार कब पुरा होगा. JPSC परीक्षा पास करने के बाद सभी ने अपनी ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है. ट्रेनिंग कंप्लीट होने के बाद उम्मीद थी की किसी जगह पोस्टिंग मिलेगी. लेकिन हर दिन इस इंतजार में कट रहा है.
अब देखे तो 2024 में भी एक प्रमोशन हुआ था जिसमें 157 पुलिस निरीक्षक को पोस्टिंग तुरंत दे दी गई. कई तो अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के पद को भी संभाल रहे है. इस बीच गुरुवार को फिर 64 को प्रमोशन दिया गया. लेकिन आखिर JPSC 7-10 के सफल डीएसपी रैंक वालों का क्या कसूर है. इसके पीछे का खेल क्या चल रहा है. आखिर जो रैंक अपनी मेहनत के दम पर लेकर आया वह इंतजर में रह गया और दूसरे तरफ प्रमोशन के साथ साथ पोस्टिंग दी जा रही है.
इस पोस्टिंग के खेल में अब विपक्ष भी सरकार से सवाल कर रही है. केन्द्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने अपने सोशल मीडिया में लिखा कि “जेपीएससी 7-10 परीक्षा पास कर DSP रैंक हासिल करने वाले युवा अफसरों को चार साल बीतने के बाद भी पदस्थापना नहीं मिल पाई है, जबकि वे प्रशिक्षण भी पूरा कर चुके हैं। दो साल से सिर्फ "प्रशिक्षु" का टैग लेकर इंतज़ार कर रहे इन अधिकारियों के साथ व्यवस्था ने अन्याय किया है।
यह न सिर्फ युवाओं का मनोबल तोड़ने वाला है, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती का शर्मनाक उदाहरण भी है।
जब राज्य में:
- महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हों,
- हत्या, बलात्कार और लूट जैसे मामले आम होते जा रहे हों,
तो ऐसे में सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि नवीन, ऊर्जावान और प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों को फील्ड में उतारा जाए, न कि उन्हें कुर्सियों पर बैठा कर इंतज़ार करवाया जाए।
यह प्रश्न झारखंड सरकार की कार्यशैली पर सीधा प्रहार है। क्या ये अफसर सिर्फ इसलिए उपेक्षित हैं क्योंकि वे मेरिट से आए हैं ?
अब वक्त है कि शासन व्यवस्था इस अन्याय को सुधारे और योग्य DSP रैंक अधिकारियों को तुरंत पदस्थापित करे।“
अब जिस तरह से पोस्टिंग को लेकर बवाल मचा है साफ है कि सरकार के अधिकारियों की लापरवाही के वजह से इस तरह का हाल हो रहा है. अधिकारी इंतजार में बैठे है और प्रमोटी को पोस्टिंग तुरंत मिल रहा है.
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