धनबाद(DHANBAD):  बिहार में चुनावी वर्ष चल रहा है.  ऐसे में नीतीश सरकार ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी है.  ताबड़ तोड़ घोषणाएं की जा रही है.  एनडीए बिहार चुनाव जीतने की तैयारी कर रहा है.  सीटों के बंटवारों को लेकर जो पेंच  फंसे हैं, उसे भी अब ठीक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है .  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार चुनाव की बागडोर अपने हाथों में लगभग ले लिए है.  सूचना के मुताबिक अमित शाह 18 तारीख को बिहार के 20 जिलों के भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक करेंगे.  वह पार्टी के  सांसद, विधायक, नेता और वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ  विधानसभा चुनाव की जीत की रणनीति पर चर्चा करेंगे.  संगठन मजबूती पर भी मंथन हो सकता है. 

अमित शाह 18 के बाद फिर 27 को आएंगे बिहार 
 
18 तारीख को गृह मंत्री डेहरी ऑन सोन जाएंगे, जहां सुबह 10:00 बजे मगध और शाहाबाद के 10 जिलों के 2500 प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे.  2 बजे बेगूसराय में 10 जिलों के नेताओं -कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे.  27 सितंबर को फिर वह बिहार आएंगे और अन्य जिलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे.  बिहार में इस साल का चुनाव बहुत खास होगा.  महागठबंधन हो या एनडीए अथवा फिर जनसुराज , अपने-अपने ढंग से सभी दल तैयारी कर रहे है.  

एनडीए में तो सीएम चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे 

एनडीए में तो तय  हो गया है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे, लेकिन महागठबंधन में अभी पेंच  फंसा हुआ है.  हालांकि तेजस्वी यादव कह  रहे हैं कि कोई कंफ्यूजन नहीं है.  जनसुराज  के सूत्रधार प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि अगर सरकार बनाने भर के विधायक नहीं जीतेंगे  तो जनसुराज  सरकार नहीं बनाएगी और न ही गठबंधन करेगी.  इधर बिहार में अभी चर्चा है कि भाजपा के 70 पार  वाले विधायकों में से कई को टिकट नहीं मिल सकता है.  उनकी जगह पर युवा चेहरों को तरजीह  मिलेगी.  वैसे तो राजद  में भी उम्र दराज विधायक हैं और जदयू में भी है.   चर्चा तेज है कि बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के उम्रदराज विधायकों का टिकट कट सकता है. उनके लिए खतरे की घंटी बज रही है. 

सभी दलों में है उम्रदराज विधायकों की भरमार 
 
यह अलग बात है कि सभी दलों में 70 साल पार  के विधायकों की संख्या अधिक है.  जानकारी के अनुसार बिहार में मौजूद 243 विधायकों में विभिन्न दलों के 68 विधायक ऐसे हैं, जिनकी उम्र 65 पार  है, वही 31 विधायकों की आयु 70 से 80 साल के बीच है.  कई-कई बार के विधायक इस बार थोड़ी परेशानी में है.  उनमें संशय है कि पार्टी टिकट देगी अथवा नहीं, उनके विधानसभा क्षेत्र में दूसरे कई दावेदार सक्रिय है.  पार्टियों  में भी बुजुर्ग विधायकों की जगह युवा तथा तेज तर्रार कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने की चर्चा जोर पकड़ रही है.  यह अलग बात है कि अपनी उम्मीदवारी पर तलवार लटकता  देख, इनमें कुछ  ने अपने पुत्र- पुत्री को आगे कर दिया है. 

उम्र दराज नेताओं के टिकट पर क्यों संकट के बादल 

 हालांकि टिकट बंटवारे के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि उम्र दराज कितने उम्मीदवार मैदान में फिर से उतर पाते है.  कितने अपने पुत्र -पुत्री को उतार पाते है.  अथवा  कितनी सीट  किसी और कार्यकर्ता के हाथ चली जाती है.  हालांकि कुछ उम्र दराज ऐसे भी हैं, जिनका फिर से मैदान में उतरना  तय माना जा रहा है.  70 पार  वाले नेताओं की बात की जाए, तो भाजपा में इनकी भरमार है.  दर्जन भर विधायक 70 से 80 साल के बीच के है.  भाजपा में 70 पार विधायकों की सबसे लंबी सूची है. इनमें कई बार के विधायक और मंत्री शामिल हैं.मसलन -डॉ. सीएन गुप्ता (छपरा, 78),अ मरेंद्र प्रताप सिंह (आरा, 78),भागीरथी देवी (रामनगर, 75),अरुण कुमार सिन्हा (कुम्हरार, 74),राघवेंद्र प्रताप सिंह (बड़हरा, 73)रामप्रीत पासवान (राजनगर, 72),रामनारायण मंडल (जमुई, 72),नंदकिशोर यादव, विधानसभा अध्यक्ष (पटना साहिब, 72) वीरेंद्र सिंह (वजीरगंज, 72),डॉ. प्रेम कुमार, पूर्व मंत्री (गया, 70),जयप्रकाश यादव (नरपतगंज, 70),श्रीराम सिंह (बगहा, 70)

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो