पाकुड़(PAKUR ):  अहले सुबह हिरणपुर रेंजर ऑफिस के सामने एक दिल दहला देने वाली सड़क दुर्घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया. अपने बच्चों के भविष्य के सपने लिए एक शिक्षक दंपती मोटरसाइकिल से दुमका जा रहे थे, लेकिन पीछे से आ रही तेज़ रफ्तार ट्रक ने उन सपनों को रौंद दिया.

घायलों की स्थिति नाजुक

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रक की टक्कर इतनी जोरदार थी कि पत्नी चारु शीला किस्कू का दाहिने पैर का निचला हिस्सा कटकर अलग हो गया, वहीं पति रघुनाथ हांसदा को दाहिने हाथ सहित शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आईं. हादसे के तुरंत बाद हिरणपुर थाना के एएसआई दिलीप मंडल घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को हिरणपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाकर प्राथमिक इलाज कराया गया, लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें सदर अस्पताल, पाकुड़ रेफर कर दिया गया. फिलहाल दोनों की स्थिति नाजुक बनी हुई है.

जानकारी के मुताबिक, रघुनाथ हांसदा डोमनगढ़िया मध्य विद्यालय, पाकुड़िया में शिक्षक हैं और वर्तमान में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ डीएवी स्कूल, पाकुड़ के पास निवास करते हैं. मूलतः वे आमडापड़ा प्रखंड के परयारदाहा गांव के निवासी हैं. घटना के वक्त दोनों अपने बच्चों के दाखिले के लिए दुमका जा रहे थे.

हादसे के बाद भी नहीं रुकी हाइवा की रफ्तार!

थाना प्रभारी रंजन कुमार सिंह ने तत्परता दिखाते हुए इलाके के CCTV फुटेज खंगाले और चंद घंटों में हाइवा ट्रक को चिन्हित कर हिरासत में ले लिया. लेकिन सवाल यह है कि जब उपायुक्त द्वारा इन भारी वाहनों के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की जा चुकी है, तब भी कैसे ये कोयला हाइवा दिनदहाड़े सड़कों पर रफ्तार भर रहे हैं?

स्थानीय लोगों का कहना है कि हिरणपुर की सड़कों पर लगातार कोयला लदे हाइवा बेलगाम दौड़ते हैं. जबकि उपायुक्त द्वारा इन गाड़ियों के परिचालन को लेकर स्पष्ट समय-सारणी निर्धारित की गई है. बावजूद इसके, कोयला माफिया बेधड़क कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए रात-दिन ट्रकों को दौड़ा रहे हैं.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कोयला माफियाओं की मनमानी चरम पर है. प्रशासनिक आदेशों और जुर्माने को ये लोग खुलेआम ठेंगा दिखा रहे हैं. हिरणपुर थाना द्वारा आए दिन ऐसे हाइवा पर कार्रवाई होती है आज भी तीन कोयला हाइवा पकड़े गए लेकिन इसके बावजूद हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है.

प्रशासन की निष्क्रियता या माफियाओं का दबदबा ?

यह घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की कमजोर निगरानी और कोयला लॉबी की बेलगाम ताकत की खौफनाक तस्वीर है. आए दिन होने वाले ऐसे हादसे यह बताने के लिए काफी हैं कि जिले में सड़क सुरक्षा नाम की कोई चीज़ नहीं बची है.क्या इसी तरह शिक्षक, किसान, मजदूर, आम नागरिक सड़कों पर बेकसूर मरते रहेंगे और हाइवा मालिक कानून का मज़ाक उड़ाते रहेंगे?

अब समय आ गया है जब प्रशासन को सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ने की बजाय दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. ताकि आने वाले दिनों में कोई और मासूम परिवार ऐसे दर्दनाक हादसे का शिकार न हो.

रिपोर्ट : नंद किशोर मंडल / पाकुड़