धनबाद(DHANBAD): पूरे विधि -विधान से दिशोम गुरु शिबू सोरेन का श्राद्ध कर्म पूरा करने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परिवार के साथ रांची लौट आए है. हेमंत सोरेन ने एक उदाहरण पेश किया,खासकर युवा वर्ग इससे जरूर प्रभावित हुए होंगे. राजधर्म के साथ-साथ पुत्र धर्म का पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निर्वाह किया. "पावर" से विचलित हुए बिना एक आम बेटे की तरह उन्होंने अपनी जिम्मेवारी निभाई. उन्होंने युवा पीढ़ी को एक संदेश भी दिया कि अपनी संस्कारों से जुड़े रहने से सामाजिक सरोकार बना रहता है.
झारखंड के लिए नेमरा से निकले कई सन्देश
इसके साथ ही नेमरा से एक राजनीतिक संदेश भी निकला. दिल्ली में गुरुजी के इलाज के दौरान भी राष्ट्रपति सहित देश के तमाम बड़े- छोटे नेता दल के बंधन से ऊपर उठकर गुरुजी का हाल-चाल लेने अस्पताल पहुंचे थे. उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अस्पताल गए. उन्होंने गुरु जी का अंतिम दर्शन किया और हेमंत सोरेन को ढांढस बंधाया . यह कोई साधारण बात नहीं थी. गुरु जी का कद इतना बड़ा था कि लोगों का सिर उनके सामने खुद ब खुद झुक जाता था.
श्राद्ध कर्म में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पहुंचे
श्राद्ध कर्म में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे. उन्होंने पूरे परिवार को सांत्वना दी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की माता जी से आशीर्वाद लिया. योग गुरु रामदेव जी ने भी श्राद्ध कर्म में हिस्सा लिया और मुख्यमंत्री की माताजी से आशीर्वाद लिया. अगर इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसके भी कई मायने निकल सकते है. क्या अब भाजपा भी झारखंड में झामुमो से टकराव नहीं चाहती है या फिर आदिवासियों के सबसे बड़े नेता शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म में राजनाथ सिंह का आना, भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं के लिए क्या कोई संदेश है? इस बात की विवेचना आगे भी चलती रहेगी.
जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन का कद बढ़ गया है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जब वह बाहर आए तो उनमें और निखार आया. उनका कद बढ़ गया, विधानसभा चुनाव में पहली बार झामुमो को इतनी बड़ी संख्या में सीटें मिली. भाजपा के तमाम कोशिशें के बावजूद गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला. यह बात भी सच है कि हेमंत सोरेन की सरकार नहीं चाहेगी कि केंद्र सरकार के साथ विवाद को लंबा खींचा जाएं, क्योंकि इस राज्य को नुकसान ही होगा. मतलब नेमरा से यह संदेश तो जरूर निकला कि अब खींचतान की राजनीति में कमी आएगी.
झामुमो को लेने पड़ेंगे कई बड़े फैसले
वैसे गुरु जी के निधन के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी कई फैसले लेने पड़ेंगे, स्वर्गीय शिबू सोरेन राज्य सरकार द्वारा बनाई गई कोऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष भी थे. शिबू सोरेन के बाद सरकार इस पद पर किसे बैठाती है, यह देखने वाली बात होगी. शिबू सोरेन के निधन के बाद राज्यसभा की सीट भी खाली हो गई है . उनका कार्यकाल 21 जून 2006 तक था. राज्यसभा का चुनाव होता है तो झामुमो के अंदर कई नेता रेस में होंगे. शिबू सोरेन जैसे नेता की जगह पार्टी को नाम तय करने होंगे. उम्मीद है कि शिबू सोरेन के नजदीक रहने वाले लोगों को झारखंड मुक्ति मोर्चा मौका दे सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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