TNP DESK: बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक के रुप मे दशहरा का पर्व मनाया जाता है…यही कारण है कि देश के कोने-कोने सहित विदेशों में भी लोग दशहरा के अवसर पर बुराई के प्रतीक रावण का पुतला दहन कर खुशियां मनाते है और एक दूसरे को इस विजय पर विजयादशमी की शुभाकामनायें देते है..लेकिन अन्य जगहो की परंपरा से अलग हट कर देवघर में विजयादशमी के अवसर पर रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है…जानकारों की माने तो देवघर में रावण के द्वारा ही पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी है…यही कारण है कि देवघर को रावण की तपोभूमि माना जाता है और यहां स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग को रावणेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है…जानकारो की माने तो रावण की पहचान दो रुपों में की जाती है एक तो राक्षसपति दशानन रावण के तौर पर और दूसरा वेद-पुराणो के ज्ञाता प्रकार पंडित और विदवान रावण के रुप में. देवघर में रावण द्वारा पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना के कारण उसके दूसरे रुप की अधिक मान्यता है..यही कारण है कि रावणेश्वर महादेव की भूमि देवघर में दशहरा के अवसर पर रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा

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