धनबाद(DHANBAD): झारखंड से मंगलवार को एक बड़ी खबर निकली. सीनियर आईएएस अधिकारी विनय चौबे को सशर्त जमानत मिल गई है. एसीबी कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है. समय सीमा के भीतर एसीबी ने चार्जशीट दाखिल नहीं किया, उसी को आधार बनाते हुए विनय चौबे के अधिवक्ता ने डिफॉल्ट पिटीशन दाखिल किया और उन्हें जमानत मिल गई. सवाल उठता है कि क्या एसीबी के पास चार्ज शीट दाखिल करने के कोई सबूत नहीं थे अथवा बिना किसी उचित प्रमाण के उनकी गिरफ्तारी की गई थी. क्या झारखंड के इस बहुचर्चित शराब घोटाले में किसी दूसरी एजेंसी का प्रवेश नहीं हो, इसके लिए जल्दीबाजी में एक्शन लिया गया. यह सब ऐसे सवाल हैं, जो एसीबी के एक्शन को सवालों के घेरे में खड़े कर रहे है.
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली ,इस वजह से आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सका. विनय चौबे की गिरफ्तारी को 90 दिन से अधिक हो गए हैं, लेकिन एसीबी इस मामले में चार्ज शीट दाखिल नहीं कर पाई. इसी वजह से उनकी जमानत याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर ली. एसीबी ने 20 मई को शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में विनय चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया, फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. तब से वह न्यायिक हिरासत में है.
गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विनय चौबे को बिना अनुमति राज्य से बाहर नहीं जाना होगा. इसके अलावे मुकदमे की पूरी अवधि तक वह अपना मोबाइल नंबर नहीं बदलेंगे. कोर्ट ने कहा है कि अगर विनय चौबे को किसी कारणवश राज्य से बाहर जाना होगा, तो उससे पहले उन्हें कोर्ट से अनुमति लेनी होगी. मंगलवार को विनय चौबे की गिरफ्तारी के 92 दिन पूरे हुए. जानकार बताते है कि जिन धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया था ,उसमे 90 दिनों में जांच पूरी करते हुए चार्ज शीट दाखिल करनी होती है.
कानून के जानकार बताते हैं कि विनय चौबे के खिलाफ लगी धाराओं की वजह से जांच पूरी करने की समय सीमा 90 दिन थी. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भादवि की अन्य धाराओं के साथ धारा 467 और 409 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन धारा के तहत अधिकतम सजा आजीवन कारावास या 10 वर्ष की होती है. अपराध की सजा 10 साल या अधिक है, तो ऐसे मामले में 90 दिन के भीतर चार्ज शीट दाखिल करने का नियम है. एक भी दिन देर हो जाने के बाद बंद आरोपी डिफॉल्ट बेल का हकदार हो जाता है. इसी आधार पर विनय चौबे की जमानत याचिका दाखिल की गई ,जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और शर्तो के साथ जमानत दे दी.

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